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दो ताप बिजली परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की मंजूरी, कैबिनेट का फैसला; 5607 करोड़ के इक्विटी निवेश को मिली हरी झंडी

इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 21547 करोड़ रुपये की आएगी। कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने नये ताप बिजली संयंत्र लगाने की योजनाओं को प्रोत्साहित नहीं कर रही थी। लेकिन हाल ही में केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने यह घोषणा की थी कि देश में 80 हजार मेगावाट क्षमता की नये ताप बिजली संयंत्र वर्ष 2030 तक लगाए जाऐंगे।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 18 Jan 2024 08:50 PM (IST)
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2260 मेगावाट क्षमता की दो ताप बिजली संयंत्रों में 5607 करोड़ के इक्विटी निवेश को मंजूरी (प्रतिकात्मक फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लंबे समय बाद केंद्र सरकार ने देश में लगाई जाने वाली ताप बिजली संयंत्रों की राह की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके इक्विटी निवेश का रास्ता साफ किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक में देश में लगाई जाने वाली 2260 मेगावाट क्षमता की दो ताप बिजली संयंत्रों में कुल 5,607 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई है।

इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 21,547 करोड़ रुपये की आएगी। कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने नये ताप बिजली संयंत्र लगाने की योजनाओं को प्रोत्साहित नहीं कर रही थी। लेकिन हाल ही में केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने यह घोषणा की थी कि देश में 80 हजार मेगावाट क्षमता की नये ताप बिजली संयंत्र वर्ष 2030 तक लगाए जाऐंगे। कोयला मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक कोल इंडिया लिमिटेड की दो सब्सिडियरियां साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स (एससीईएल) और महानदी कोलफील्ड (एमसीएल) को नये बिजली संयंत्र लगाने की अनुमति दी गई है।

परियोजना की कुल लागत 15,947 करोड़ रुपये होगी

एससीईएल मध्य प्रदेश पावर जेनेरेशन कंपनी लिमटेड के साथ मिल कर अनुपपुर में 6,60 मेगावाट क्षमता का संयंत्र लगाएगी। जबकि एमसीएल 800 मेगावाट क्षमता की दो यूनिटें ओडीसा के सुंदरगढ़ जिले में लगाएगी। इस परियोजना की कुल लागत 15,947 करोड़ रुपये होगी जिसमें सीसीइए ने 4,784 करोड़ रुपये की इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है।

देश में 2.41 लाख मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्थापित

सनद रहे कि अभी देश में 2.41 लाख मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्थापित हैं। पिछले दिनों में दुबई में पर्यावरण सुरक्षा पर आयोजित काप-28 बैठक मे भी भारत ने ताप बिजली संयंत्र लगाने पर रोक लगाने के कुछ देशों के सुझावों का खासा विरोध किया था। भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य तय किया है लेकिन सरकार यह भी मानती है कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए अभी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की अहमियत बनी रहेगी।

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