Kerala: पद्मनाभस्वामी का जुलूस एयरपोर्ट के रनवे से गुजरा, तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे पर पांच घंटे उड़ानें रहीं बाधित
श्री पद्मनाभस्वामी के पारंपरिक जुलूस अरट्टू के रनवे से गुजरने के कारण सोमवार को तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं बाधित रहीं। इस दौरान तकरीबन चार उड़ानों को प्रस्थान के लिए री-शेड्यूल किया गया। जुलूस के मंदिर लौटने के बाद उड़ान सेवाएं रात तकरीबन नौ बजे शुरू की गईं। मंदिर के जुलूस के रनवे से गुजरने के कारण एयरपोर्ट को प्रतिवर्ष दो बार उड़ानों का संचालन रोकना और उड़ानों को री-शेड्यूल करना पड़ता है।
By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Tue, 24 Oct 2023 02:27 AM (IST)
पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। श्री पद्मनाभस्वामी के पारंपरिक जुलूस 'अरट्टू' के रनवे से गुजरने के कारण सोमवार को तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं बाधित रहीं। इस दौरान तकरीबन चार उड़ानों को प्रस्थान के लिए री-शेड्यूल किया गया। जुलूस के मंदिर लौटने के बाद उड़ान सेवाएं रात तकरीबन नौ बजे शुरू की गईं।
शाही परिवार के वर्तमान प्रमुख ने किया जुलूस का नेतृत्व
पारंपरिक हरे रंग की रेशमी टोपी, पन्ना हार पहनकर व औपचारिक तलवार लेकर पूर्ववर्ती त्रावणकोर शाही परिवार के वर्तमान प्रमुख श्री मूलम तिरुनल राम वर्मा ने भारी बारिश के बीच मंदिर से पास के शंकुमुघम समुद्र तट तक जुलूस का नेतृत्व किया। जुलूस शाम तकरीबन पांच बजे मंदिर से शुरू हुआ। इसमें शाही परिवार के पुरुष सदस्यों के साथ छह सजे हाथी और बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। यह जूलस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे से होते हुए समुद्र तट तक पहुंचा।
एयरपोर्ट परिसर में प्रवेश के बाद पद्मनाभ स्वामी, नरसिम्हा मूर्ति और कृष्णा स्वामी के "उत्सव विग्रह" (मूर्तियां) को कुछ समय के लिए रनवे के निकट "अरट्टू मंडपम" में रख दिया गया और बाद में अनुष्ठान के लिए नजदीकी समुद्र तट पर ले जाया गया। शंकुमुघम समुद्र तट पर समुद्र में डुबकी लगाने के बाद त्योहार के समापन की प्रतीक पारंपरिक मशालों को जलाकर मूर्तियों को जुलूस के रूप में ही मंदिर वापस लाया गया।
जुलूस के कारण उड़ानों को करना पड़ता है री-शेड्यूल
मंदिर के जुलूस के रनवे से गुजरने के कारण एयरपोर्ट को प्रतिवर्ष दो बार उड़ानों का संचालन रोकना और उड़ानों को री-शेड्यूल करना पड़ता है। मूर्तियों को स्नान के लिए शंकुमुघम समुद्र तट पर ले जाने के लिए जुलूस की परंपरा सदियों पुरानी है और यह 1932 में एयरपोर्ट की स्थापना के बाद भी जारी है।यह भी पढ़ेंः Railway Board DA Hike: रेलवे का अपने कर्मचारियों को दिवाली गिफ्ट, 11 लाख से अधिक कर्मियों का बढ़ाया महंगाई भत्ता