Karnataka: महिला की नग्न परेड को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, पूछा- क्या हम 17वीं सदी में वापस जा रहे हैं?
कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेलगावी जिले के एक गांव में एक महिला को नग्न घुमाने की घटना पर नाराजगी जताते हुए उसे असाधारण मामला करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह हम सभी के लिए शर्म की बात है। यह हमारे लिए एक सवाल है कि क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं सदी में वापस जा रहे हैं?
By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 14 Dec 2023 05:16 PM (IST)
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेलगावी जिले के एक गांव में एक महिला को नग्न घुमाने की घटना पर नाराजगी जताते हुए उसे 'असाधारण मामला' करार दिया और कहा कि इस मामले में सख्ती से निपटा जाएगा।इस दौरान हाई कोर्ट ने सवाल किया कि क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं सदी में वापस लौट रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 11 दिसंबर की सुबह एक महिला का बेटा एक लड़की के साथ फरार हो गया, जिसकी सगाई होने वाली थी। इस मामले को लेकर तहलका मच गया और युवक की मां के साथ मारपीट की, फिर नग्न कर उसकी परेड निकाली और अंतत: बिजली के खंभे में बांध दिया गया।
एक खंडपीठ ने बेलगावी के पुलिस आयुक्त के साथ सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) को अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 18 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया।
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महाधिवक्ता ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की खंडपीठ के समक्ष इस घटना को लेकर की गई कार्रवाई से संबंधित एक ज्ञापन और कुछ दस्तावेज रखे। पीठ ने कहा,
कम से कम हम यह कह सकते हैं कि घटना के बाद जिस तरह से चीजें हुईं, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा,
यह भी पढ़ें: आधार अधिनियम के तहत विवाह निजता के अधिकार को निष्प्रभावी नहीं करता है- कर्नाटक उच्च न्यायालय कोर्ट ने कहा कि यह (मामला) आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करेगा। क्या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं जहां हमें बेहतर भविष्य के सपने देखने का मौका मिले या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जहां कोई यह महसूस करे कि जीने से बेहतर मर जाना है? जहां एक महिला के लिए कोई सम्मान नहीं है।यह हम सभी के लिए शर्म की बात है। आजादी के 75 साल बाद भी हम इस तरह की स्थिति की उम्मीद नहीं कर सकते। यह हमारे लिए एक सवाल है कि क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं सदी में वापस लौट रहे हैं?