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Army Day 2023: पहली बार बेंगलुरु में आयोजित हुआ सेना दिवस, आर्मी चीफ सहित कई लोग हुए शामिल

देश आज थल सेना दिवस मना रहा है। इस बार पहला मौका है जब सेना दिवस को दिल्ली के बाहर बेंगलुरु में आयोजित किया गया है। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे बेंगलुरु के गोविंदस्वामी परेड ग्राउंड में आर्मी डे 2023 कार्यक्रम में शामिल हुए।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Sun, 15 Jan 2023 11:00 AM (IST)
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पहली बार दिल्ली से बाहर आयोजित हुआ सेना दिवस

नई दिल्ली। भारतवासी आज थल सेना दिवस मना रहे हैं। वहीं पहली बार दिल्ली के बाहर बेंगलुरु में सेना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे बेंगलुरु के गोविंदस्वामी परेड ग्राउंड में आर्मी डे 2023 कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपना संबोधन दिया।

— ANI (@ANI) January 15, 2023

इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमावर्ती इलाकों में स्थिति सामान्य रही है। LAC पर मजबूत डिफेंस बरकरार रखते हुए हम किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए तैयार हैं। जवानों को सभी प्रकार के हथियार, उपकरण और सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में दी जा रही हैं।

उन्होंने आगे कहा कि पश्चिमी सीमावर्ती इलाकों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम बरकरार है और संघर्ष विराम के उल्लंघन में भी कटौती हुई है। लेकिन सरहद पार आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी बरकरार है। जम्मू और पंजाब के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन से हथियार, ड्रग की तस्करी जारी है।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भरता से आधुनिकता हमारा मूलमंत्र होगा। भारतीय रक्षा उद्योग इन चुनौतियों के लिए आगे आ रहा है। हमें मेड इन इंडिया हथियारों, उपकरणों पर भरोसा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम संचार, मानव रहित प्रणाली, निर्देशित ऊर्जा हथियार जैसी आला तकनीक का स्वदेशीकरण हो रहा है।

साथ ही कहा कि अग्निपथ योजना के आने से एक एतिहासिक और प्रगतिशील कदम उठाया गया है। हमने भर्ती प्रक्रिया को स्वचालित किया है। हमें देश के युवाओं से अच्छा प्रतिक्रिया मिली है। पुरुष अग्निवीर के पहले बैच की ट्रैनिंग शुरू हो चुकी है। अग्निवीरों का आगे चयन करने के लिए मजबूत प्रक्रिया विकसित की गई है।

इस दौरान आर्मी चीफ ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति में निश्चित सुधार हुआ है। भारतीय सेना ने हिंसा के स्तर को कम करने और विद्रोहियों को हिंसा का रास्ता छोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अधिकांश विद्रोही समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।