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Indian Army: चीनी जासूसी गुब्बारों के विरुद्ध भविष्य में कार्रवाई की एसओपी बना रही सेना

Indian Army अंतिम स्वीकृति के लिए सरकार को प्रजेंटेशन देने की तैयारी। वर्षभर पहले अंडमान के ऊपर सेनाओं ने देखा था गुब्बारा। सेनाओं ने देश के किसी क्षेत्र के निकट या ऊपर ऐसी किसी भी वस्तु का पता लगाने के लिए वर्तमान रडार नेटवर्क के इस्तेमाल पर भी चर्चा की।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 07 Mar 2023 09:04 PM (IST)
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अंतिम स्वीकृति के लिए सरकार को प्रजेंटेशन देने की तैयारी

नई दिल्ली, एएनआइ। अमेरिका द्वारा चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के बाद भारतीय सेनाओं में भी इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है। अब भारतीय सेनाएं भी भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर रही हैं। देश की सेनाओं ने एक वर्ष पहले अंडमान के ऊपर ऐसा ही एक गुब्बारा देखा था। यह गुब्बारा भारतीय क्षेत्र के ऊपर लगभग तीन-चार दिनों तक रहा था, लेकिन उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि सेनाओं में इस मुद्दे पर चर्चा के बाद अब स्पष्ट हो रहा है कि ऐसे गुब्बारों में संचालन प्रणाली हो सकती है और इसे किसी क्षेत्र के ऊपर स्थिर किया जा सकता है। चर्चा इस बात पर भी हो रही है कि भविष्य में इस तरह के गुब्बारों से कैसे निपटा जाए और अगर जरूरी हो तो उन्हें निशाना बनाने व मार गिराने के लिए किस तरह के हथियारों या प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जाए। सूत्रों का कहना है कि सेनाएं कार्रवाई की योजना को एकीकृत करने और अंतिम स्वीकृति के लिए सरकार को प्रजेंटेशन देने की तैयारी कर रही हैं।

रडार नेटवर्क के इस्तेमाल पर चर्चा

सेनाओं ने देश के किसी क्षेत्र के निकट या ऊपर ऐसी किसी भी वस्तु का पता लगाने के लिए वर्तमान रडार नेटवर्क के इस्तेमाल पर भी चर्चा शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि सेनाएं 60 हजार फीट से ऊपर संचालित होने वाली ऐसी उड़ने वाली वस्तुओं से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अध्ययन भी कर रही हैं।

मौसम विज्ञान संबंधी गुब्बारा होने की थी आशंका

अमेरिकी आकाश में चीनी गुब्बारे को मार गिराने के तुरंत बाद रक्षा अधिकारियों ने कहा था, 'कुछ समय पहले हमने अंडमान के ऊपर गुब्बारे जैसी सफेद वस्तु देखी थी और जमीन से हमारे लोगों ने उसकी हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें ली थीं।' उनका कहना था, यह स्पष्ट नहीं था कि गुब्बारे जैसी उस वस्तु का मकसद क्या था और यह भी साफ नहीं था कि वह म्यांमार से आई थी या चीन से। लेकिन तीन-चार दिन बाद वह वहां से चली गई थी। उस समय यह महसूस किया गया था कि वह मौसम विज्ञान संबंधी गुब्बारा हो सकता है क्योंकि हवा की वजह से ऐसे कई गुब्बारे पाकिस्तान की ओर से भारत के ऊपर आ जाते हैं।

दोबारा दिखी तो मार गिराएंगे

रक्षा अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसी कोई वस्तु अंडमान या किसी और क्षेत्र के ऊपर दोबारा दिखाई दी तो उसका सावधानीपूर्वक अध्ययन किया जाएगा। अगर पता चला कि वह जासूसी का उपकरण है तो उसे मार गिराया जा सकता है।