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जवान को बंधक बना महिला मित्र से गैंगरेप, महू में पहले भी हुईं कई घटनाएं; 9 साल पहले 100 फौजियों ने क्यों किया था थाने पर हमला?

इंदौर के महू छावनी क्षेत्र में दो प्रशिक्षु सैन्य अधिकारियों (कैप्टन) बंधक बनाकर मारपीट और लूटपाट की। सेना के जवान की महिला मित्र से गैंगरेप करने की सनसनीखेज वारदात को भी अंजाम दिया। महू कैंट में इससे पहले भी प्रशिक्षु सैन्य अधिकारियों के साथ घटनाएं होती रही हैं। नौ साल पहले एक घटना तो ऐसी हुई जिसकी देश भर में खूब चर्चा हुई। पढ़िए क्‍या थी वो घटना...

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 12 Sep 2024 03:16 PM (IST)
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Shocking Crime in Mhow : महू कैंट में ट्रेनिंग ले रहे सैन्‍य अफसरों के साथ पहले भी कई घटनाएं हुई।
डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। इंदौर से करीब 24 किलोमीटर महू स्थित छावनी इलाके से हैरान-परेशान करने वाली सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां में दो प्रशिक्षु सैन्य अधिकारियों (कैप्टन) को बंधक बनाकर मारपीट की, नकदी व कीमती सामान लूटा और उनके साथ आई युवतियों के साथ गैंगरेप किया। पीड़ित प्रशिक्षु सैन्य अधिकारियों की शिकायत पर पुलिस ने दो आरोपियों को हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है।

क्‍या है पूरा मामला?

इंदौर के आईजी (ग्रामीण) अनुराग ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के निवासी दो सैन्य अधिकारी (कैप्टन) महू आर्मी कॉलेज में प्रशिक्षण ले रहे है।

मंगलवार रात दोनों कैब में दो महिला मित्रों के साथ जाम गेट घूमने गए। यहां फायरिंग रेंज में कार पार्क कर आपस में बातें करने लगे। तभी अचानक पिस्तौल, चाकू और डंडे लेकर आठ बदमाशों ने उन्‍हें घेर लिया।

बदमाशों ने सैन्य अधिकारियों (कैप्टन) और युवतियों से मारपीट की। नकदी, पर्स व अन्य कीमती सामान लूट लिए। फिर एक अफसर और एक युवती को बंधक बना लिया। दूसरे अफसर और युवती से कहा- जाओ रुपये लेकर आओ। जब तक 10 लाख रुपये नहीं लाओगे, तब तक उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा।

साथी जवान को आने में देरी हुई तो युवती से किया गैंगरेप

आईजी के मुताबिक, घबराए अफसर ने यूनिट पहुंच कमांडिंग अफसर को घटना की जानकारी दी। फिर सैन्य अफसरों ने पुलिस को इसकी सूचना दी, तब दोनों को बदमाशों की गिरफ्त से छुड़ाया गया।

साथी अफसर के लौटने में देरी होने पर बदमाश युवती को दूर ले गए और गैंगरेप किया। शहर में इतनी बड़ी वारदात के बाद पुलिस अब तक सिर्फ दो आरोपियों को ही गिरफ्तार कर पाई है।

इस घटना से पहले भी इंदौर के महू कैंट में ट्रेनिंग ले रहे सैन्‍य अफसरों के साथ  कई घटनाएं हुई हैं। एक घटना तो देश भर में खासा चर्चा में रही थी, जिसमें शामिल लोग कोई और नहीं पुलिसकर्मी ही थे। आइए बताते हैं क्‍या थी वो घटना... 

नौ साल पहले क्या हुआ था?

9 सितंबर 2015 की घटना है। इंदौर के विजयनगर थाने की पीसीआर वैन ने देर शाम कुछ युवकों को मॉल के बाहर शराब पीते पकड़ा था। पुलिसकर्मी युवकों को थाने गए। वहां युवकों ने खुद को आर्मी का जवान बताया तो पुलिसकर्मियों ने उनको जमकर पीटा।

पुलिस की पिटाई में एक जवान के पैर की हड्डी टूट तक गई और बाकी जवान बुरी तरह घायल हो गए। किसी तरह पुलिस के चंगुल से छूटे जवान महू कैंट पहुंचे और अपने साथियों को इसकी जानकारी दी।

100 जवान ने मिलकर थाने पर किया हमला

सैनिक अपने साथी जवानों की हालत देख बुरी तरह भड़क गए। फिर क्या था। 100 से अधिक जवानों मिलकर पूरी प्लानिंग से हॉकी और स्टिक लेकर विजय नगर थाने पर हमला बोला। थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों की जमकर पिटाई की, जिसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

सेना के जवान जाते-जाते थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डर भी उखाड़कर ले गए ताकि कोई सबूत न बचे। पुलिस की गाड़ियों, वायरलेस सेट्स, कंप्‍यूटर और प्रिंटर भी तोड़ डाले। पुलिस ने आरोप लगाया था कि जवान एक राइफल और पांच कारतूस भी ले गए थे।

13 मिनट में पूरे घटनाक्रम को दिया अंजाम

सैन्य अफसरों ने थाने पर हमला इतनी प्लानिंग से किया, जैसे- दुश्मनों के खिलाफ किसी मिशन पर हों। पूरे घटनाक्रम को सिर्फ 13 मिनट में अंजाम दिया था। वे तीन टुकड़ियों में बंटकर आए।

उन्‍होंने सबसे पहले थाने की ओर आने वाले दो रास्‍ते ब्‍लॉक कर दिए ताकि किसी दूसरे थाने से फोर्स न आ सके। थाने पर हमला करने वाले टुकड़ी ने मुंह पर काला कपड़ा बांध रखा था। बाकी दल के जवानों ने सड़क के आसपास पुलिसवालों को ढूंढ-ढूंढकर पीटते रहे थे।

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छह ट्रको में भरकर आए थे जवान

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि फौजियों विजय नगर थाने के आसपास जितने भी पुलिस वाले मिले सबको दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। सिपाहियों ने वहां से भागकर जान बचाई। जवान एक सिपाही को पीटते हुए रसोमा चौराहे तक ले गए थे। रेड लाइट वॉयलेंस डिटेक्‍शन कैमरों की फुटेज से पता चला था कि जवान बाइक कार नहीं, बल्कि छह ट्रकों में भरकर आए थे।

पुलिस विभाग की ओर से जवानों के खिलाफ विभिन्‍न धाराओं में तीन मामले दर्ज हुए। हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस और सेना के जवानों के बीच मारपीट और तोड़फोड़ के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सेना के जवानों के साथ मारपीट करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालांकि, बाद में पुलिस कोई जवान पेश नहीं कर पाई। 

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(सोर्स: जागरण नेटवर्क और जागरण आर्काइव)