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'GST के सभी मामलों में गिरफ्तारी जरूरी नहीं', SC ने कहा- गिरफ्तार करने लिए होने चाहिए विश्वसनीय सबूत और ठोस सामग्री

पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कानून नहीं कहता कि जांच पूरी करने के लिए गिरफ्तारी की जानी चाहिए। कानून का यह उद्देश्य नहीं है। जीएसटी के प्रत्येक मामले में आपको गिरफ्तारी करनी जरूरी नहीं है। यह कुछ विश्वसनीय साक्ष्य एवं ठोस सामग्री पर आधारित होनी चाहिए।चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता से गिरफ्तारी की शक्ति अलग है।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Wed, 15 May 2024 11:45 PM (IST)
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कानून नहीं कहता कि जांच पूरी करने के लिए की जाए गिरफ्तारी- SC

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा तभी किया जा सकता है जब दोषी साबित करने के लिए विश्वसनीय सुबूत और ठोस सामग्री हो। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम और वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम से संबंधित प्रविधानों की संवैधानिक वैधता और व्याख्या को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता से गिरफ्तारी की शक्ति अलग है।

पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ''कानून नहीं कहता कि जांच पूरी करने के लिए गिरफ्तारी की जानी चाहिए। कानून का यह उद्देश्य नहीं है। जीएसटी के प्रत्येक मामले में आपको गिरफ्तारी करनी जरूरी नहीं है। यह कुछ विश्वसनीय साक्ष्य एवं ठोस सामग्री पर आधारित होनी चाहिए।"

'ज्यादातर गिरफ्तारियां जांच के दौरान की जाती हैं'

'पीठ ने जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रविधानों पर राजू से कई सवाल पूछे और कहा कि कानून ने स्वयं स्वतंत्रता को उच्च स्तर पर रखा है और इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। राजू ने कहा कि ज्यादातर गिरफ्तारियां जांच के दौरान की जाती हैं क्योंकि किसी मामले में जांच पूरी होने के बाद कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, 'गिरफ्तारी केवल संदेह पर आधारित नहीं होती, बल्कि तब की जाती है जब यह विश्वास करने के कारण होते हैं कि कोई गंभीर अपराध घटित होने के संकेत हैं।' उन्होंने कहा कि विश्वास करने के कारण अपराध घटित होने की सख्त व्याख्या पर आधारित नहीं हो सकते।

फैसला देते समय इन सभी पहलुओं का रखे ध्यान 

पीठ ने कहा कि वह सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत 'विश्वास करने के कारण' और 'गिरफ्तारी के आधार' के सवाल की जांच करेगी। साथ ही कहा कि जहां जीएसटी अधिकारियों द्वारा मनमानी की घटनाएं हुई हैं, वहीं करदाताओं की ओर से भी गलत काम करने के मामले हैं और वह अपना फैसला देते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगी।

देनदारी का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा

सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रविधानों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने दोनों कानूनों के तहत गिरफ्तारी के प्रविधानों के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि उन्हें धमकाया जा रहा है और कानूनों के तहत उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना देनदारी का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जीएसटी अधिनियम की धारा-69 गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है, जबकि 1962 के सीमा शुल्क अधिनियम की धारा-104 एक अधिकारी को किसी को भी गिरफ्तार करने की अनुमति देती है, अगर उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उक्त व्यक्ति ने अपराध किया है।

कोई भी गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर नहीं

उल्लेखनीय है कि नौ मई को भी शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि जीएसटी अधिनियम के तहत कोई भी गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर नहीं, बल्कि ठोस सामग्री के आधार पर और उचित प्रक्रिया के अनुपालन में होनी चाहिए।

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