सांप के जहर को खत्म करेगी कृत्रिम मानव एंटीबाडी, कोबरा करैत जैसे सर्पों के दंश को भी करेगी निष्क्रिय
परीक्षण में पाया कि केवल विष देने से चूहे चार घंटे के भीतर मर गए। लेकिन जिन्हें विष-एंटीबाडी मिश्रण दिया गया वे 24 घंटे की निगरानी अवधि के बाद भी जीवित रहे और पूरी तरह स्वस्थ दिखे। टीम ने पूर्वी भारत के मोनोकल्ड कोबरा और उप-सहारा अफ्रीका के ब्लैक माम्बा के पूरे जहर के खिलाफ भी अपने एंटीबाडी का परीक्षण किया और इसके अपेक्षित परिणाम पाए गए।
पीटीआई, नई दिल्ली। सर्पदंश से दुनिया भर में हर वर्ष हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। लेकिन, अब जल्द इस समस्या से निजात मिल सकती है। विज्ञानियों ने कृत्रिम मानव एंटीबाडी तैयार की है जो कोबरा, किंग कोबरा व करैत जैसे अत्यधिक विषैले सर्पों के दंश को भी निष्क्रिय करेगी। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि एंटीबाडी का असर पारंपरिक एंटीवेनम (जहर का असर खत्म करने वाला पदार्थ) की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक पाया गया।
शोधकर्ताओं का यह निष्कर्ष साइंस ट्रासलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। कहा, जिस तरह से एचआइवी व कोविड-19 की एंटीबाडी विकसित की गई थी, उसी तरह इस नए एंटीबाडी को विकसित किया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस (आइआइएससी), बेंगलुरु से पीएचडी कर रहीं सेनजी लक्ष्मी ने कहा कि यह पहली बार है कि सर्पदंश के उपचार के लिए एंडीबाडी विकसित करने की यह रणनीति अपनाई गई।
शोध दल में शामिल अमेरिका के स्कि्रप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन यूनिवर्सल एंटीबाडी सोल्यूशन की ओर एक कदम है, जो विभिन्न तरह के सर्पों के विष से हमारी सुरक्षा कर सकता है। सर्पदंश से सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में भारत और उप सहारा अफ्रीका के इलाके शामिल हैं।
बहुत जटिल है एंटीवेनम तैयार करने का मौजूदा तरीका
आइआइएससी के एसोसिएट प्रोफेसर कार्तिक सुनगर ने कहा, एंटीवेनम (जहर का असर खत्म करने वाला पदार्थ) विकसित करने की वर्तमान प्रक्रिया में घोड़ों, टट्टुओं और खच्चरों जैसे जानवरों में सांप के जहर का इंजेक्शन लगाकर उनके रक्त से एंटीबाडी एकत्र की जाती है। यह काफी जटिल और जोखिम भरी प्रक्रिया है क्योंकि ये जानवर विभिन्न प्रकार के जीवाणु और वायरसों से संक्रमित हो सकते हैं।
लिहाजा इनसे हासिल एंटीवेनम में इन सूक्ष्म जीवों की भी एंटीबाडी मिली रहती है। यह मिलावट इसके कारगर होने के स्तर को कुंद करती है। अब तैयार की गई एंटीबाडी के लिए शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह सबसे विषैले जहर माने जाने वाले थ्री फिंगर टाक्सिन (3एफटी) के प्रभाव को खत्म करेगी। यह एंटीबाडी 3एफटी के 149 वैरिएंट में से 99 पर कारगर है।
चूहों पर किया गया सफल परीक्षण
शोधकर्ताओं ने विकसित एंटीबाडी का जानवरों के माडल पर परीक्षण किया। परीक्षण में पाया कि केवल विष देने से चूहे चार घंटे के भीतर मर गए। लेकिन जिन्हें विष-एंटीबाडी मिश्रण दिया गया, वे 24 घंटे की निगरानी अवधि के बाद भी जीवित रहे और पूरी तरह स्वस्थ दिखे। टीम ने पूर्वी भारत के मोनोकल्ड कोबरा और उप-सहारा अफ्रीका के ब्लैक माम्बा के पूरे जहर के खिलाफ भी अपने एंटीबाडी का परीक्षण किया और इसके अपेक्षित परिणाम पाए गए।