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Arvind Kejriwal: ED की गिरफ्त में अरविंद केजरीवाल, किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को लेकर क्या कहते हैं नियम?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने तकरीबन 2 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इसी के साथ ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है? संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है लेकिन क्रिमिनल मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 21 Mar 2024 09:55 PM (IST)
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ED की गिरफ्त में अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तकरीबन 2 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इसी के साथ ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है? ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि कुछ वक्त पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल का मामला हेमंत सोरेन से अलग है।

केजरीवाल गिरफ्तार

आम आदमी पार्टी सौरव भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की जानकारी शेयर की। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार...

न्यायिक सदस्य एनजीटी के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधीर अग्रवाल ने कहा,

किसी सरकारी अधिकारी के जेल जाने की स्थिति में उसे निलंबित करने का कानून है, लेकिन राजनेताओं पर कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है। फिर भी चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।

किन मामलों में मुख्यमंत्री को छूट नहीं

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है। ठीक यही नियम प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी हैं। हालांकि, राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता है।

अनुच्छेद 361

अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती है और न ही कोई कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है।

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गिरफ्तारी से पहले लेनी होगी अनुमति

कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।

कब-कब गिरफ्तार नहीं हो सकते मुख्यमंत्री

बता दें कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

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राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण ने कहा,

केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है, ऐसे में यदि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं। इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि, पूर्व में ऐसा कोई मामला ध्यान में नहीं आता, जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो।

सनद रहे कि लालू प्रसाद यादव, दिवंगत जे जयललिता, बीएस येदियुरप्पा और हेमंत सोरेन की अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी हुई थी।

कौन-कौन हो चुका है गिरफ्तार

  • चारा घोटाला मामले में सीबीआई की चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थी। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई थी।
  • वहीं जयललिता ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराई गई थी जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि, मामले की जांच जब तक चली थी वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रही थीं। 
  • ऐसा ही एक मामला साल 2011 में कर्नाटक से सामने आया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।