कृषि में पढ़ाई के लिए भारत की बड़ी पहल, आसियान देशों के 50 छात्रों को हर साल दी जाएगी फेलोशिप
भारत ने कृषि और संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए एक फेलोशिप की घोषणा की है। इसके लिए आसियान देशों के 50 छात्रों को कृषि से जुड़े क्षेत्रों में मास्टर डिग्री के लिए प्रतिवर्ष फेलोशिप दी जाएगी। परियोजना पांच साल के लिए है। फेलोशिप की शुरुआत दिल्ली स्थित पूसा में गुरुवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत एवं आसियान देशों के बीच कृषि एवं संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए परस्पर सहयोग बढ़ाया जाएगा। इसके लिए भारत ने पहल करते हुए आसियान देशों के 50 छात्रों को कृषि से जुड़े क्षेत्रों में मास्टर डिग्री के लिए प्रतिवर्ष फेलोशिप देने की घोषणा की है। इसे शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से शुरू किया जा रहा है।
पांच साल के लिए है परियोजना
परियोजना पांच साल के लिए है। फेलोशिप की शुरुआत दिल्ली स्थित पूसा में गुरुवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। इस दौरान कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर व भागीरथ चौधरी समेत आसियान के सदस्य देशों के उच्चायुक्त भी मौजूद थे। आसियान भारत की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की नीति एवं इस पर निर्मित 'इंडो-पैसिफिक विजन' की आधारशिला है। भारत आसियान एकता का समर्थन करता है।
चयनित छात्रों को मिलेंगे कई लाभ
योजना के लिए केंद्र सरकार ने आसियान-भारत कोष के तहत वित्त पोषण की मंजूरी पहले ही दे दी है। चयनित छात्रों को फेलोशिप, प्रवेश शुल्क, रहने का खर्च एवं आकस्मिकता खर्च दिया जाएगा। इसके तहत भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा पेश किए जाने वाले मास्टर्स प्रोग्राम छात्रों को अत्याधुनिक शोध से परिचित कराएंगे।
उन्हें भविष्य के नवाचारों के लिए तैयार किया जाएगा। साथ ही दीर्घकालिक डिग्री कोर्स शोधकर्ताओं को लंबे समय तक जुड़े रहने में मदद कर सकता है। आसियान तथा भारत को कृषि से संबंधित मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है।
कृषि मंत्री ने क्या कहा?
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज ने आसियान देशों को एक बताया। भारत ने सदैव कृषि को प्रधानता दी है। आज भी देश की बड़ी आबादी खेती से ही रोजगार प्राप्त करती है। फेलोशिप से समस्याओं के समाधान में कृषि शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
यह भी पढ़ेंः