जानिए- असम में बुलाए बंद के पीछे क्या है आदिवासियों की सबसे बड़ी मांग, कब से कर रहे हैं संघर्ष
असम के छह आदिवासी समुदाय से मिलकर बने संगठन ने आज राज्य में बंद का आह्वान किया है। इनकी मांग है कि राज्य के छह आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाना चाहिए। इन्होंने सरकार को धमकी भी दी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 15 Nov 2022 12:35 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। असम में Soy Janagoshthi joutha Mancha ने आज राज्य में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। ये मंच राज्य के करीब आदिवासी संगठनों से मिलकर बना है। इनमें यहां पर रहने वाले adivasi, koch-Rajbongshi, Matak, Moran, Tai-Ahom और एक अन्य समुदाय शामिल हैं। आपको बता दें कि राज्य के कुल मतदाताओं में इनका योगदान करीब 30 फीसद का है। इनकी मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe status) का दर्जा दिया जाना चाहिए।
काफी पुरानी है मांग
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इन समुदायों के लोग काफी समय से इस मांग को कर रहे हैं। अब तक उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। एसजेजेएम ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया गया है कि ये अब तक केवल इन समुदायों की भावनाओं से खेलता आया है। एसजेजेएम का 30 नवंबर को दिल्ली में भी धरना प्रदर्शन करने की योजना है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी ने बोगाईगांव की एक सभा में इस मांग का जिक्र भी किया था।
भाजपा ने दिया था मांग पूरी करने का भरोसा
वर्ष 2016 के असेंबली इलेक्शन में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में साफतौर पर कहा था कि यदि वो सत्ता में आती है तो वो केंद्र के साथ मिलकर इस मांग को पूरा करने के लिए काम करेंगे। वर्ष 2019 में लोक सभा में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस पर बयान देते हुए कहा था कि राज्य के छह आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को मंजूरी दे दी गई है। इस बयान के बाद सरकार ने इसको लेकर एक बिल भी सदन में रखा था। लेकिन, तब से अब तक ये निलंबित है। इस पर सरकार एक भी कदम आगे नहीं बढ़ सकी है। यही वजह है कि इन आदिवासी समुदायों के निशाने पर अब भाजपा की सरकार आ गई है।