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Assam: सीएम का दावा; बाल-विवाह रोकने के लिए चलाए गए अभियान का साकारात्मक असर, कम उम्र में तय हुई शादियां रद्द

असम में बाल विवाह के खिलाफ 3 फरवरी से अभियान चलाया जा रहा है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि इससे राज्य में काफी साकारात्मक असर हुआ है। हालांकि विपक्ष ने इस अभियान को विरोध किया है।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Fri, 17 Feb 2023 04:36 PM (IST)
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बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का राज्य में साकारात्मक असर।
गुवाहाटी, पीटीआई। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को दावा किया है कि राज्य में बाल विवाह के खिलाफ चल रही कार्रवाई का राज्य में काफी साकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्य भर में बहुत से परिवार ने कम उम्र के लोगों की तय शादियों को चल रहे अभियान के कारण रद्द कर दिया। यह कार्रवाई 3 फरवरी को शुरू की गई थी और 15 फरवरी तक राज्य में 4,225 मामले दर्ज कर 3,031 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

सीएम ने किया ट्वीट

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्विटर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "असम के विभिन्न हिस्सों से रिपोर्ट आ रही है कि कई परिवारों ने इस तरह के अवैध प्रथाओं के खिलाफ हमारे अभियान के बाद कम उम्र के बच्चों की तय की गई शादी को रद्द कर दिया है।" उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर कहा, "यह निश्चित रूप से बाल विवाह के खिलाफ हमारी दो सप्ताह की लंबी कार्रवाई का सकारात्मक प्रभाव है।"

उच्च न्यायालय और विपक्ष ने किया विरोध

विपक्षी दलों ने इस अभियान को राजनीतिक लाभ के लिए किशोर पतियों और परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी को कानून का दुरुपयोग करार दिया है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) और बाल विवाह के आरोपियों पर दुष्कर्म के आरोपों जैसे कड़े कानूनों को लागू करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी।

पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उप-समिति का गठन

यह देखते हुए कि कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार करने से लोगों के निजी जीवन में तबाही मची है। न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने 14 फरवरी को कहा था कि ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रभावित महिलाओं और उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में विफल रहने के कारण सरकार ने 9 फरवरी को पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया था।

बाल विवाह करने वालों के खिलाफ POSCO एक्ट के तहत कार्रवाई

प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल के अनुसार, सीएम सरमा ने उपायों को सही ठहराते हुए कहा कि यह अभियान 2026 के चुनाव तक चलेगा। साथ ही उन्होंने कहा था कि पिछले साल असम में 6.2 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं में से लगभग 17 प्रतिशत किशोर थीं। राज्य कैबिनेट ने हाल ही में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर POCSO के तहत मामला दर्ज करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

बाल विवाह को माना जाएगा अवैध

कैबिनेट ने फैसला किया था कि 14-18 आयु वर्ग की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे। अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा। यदि वर की आयु 14 वर्ष से कम है तो उसे सुधार गृह भेजा जायेगा।

असम में सबसे अधिक मातृ और शिशु मृत्यु दर

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा मातृ और शिशु मृत्यु दर असम राज्य की है। इसका सबसे बड़ा कारण बाल विवाह को माना गया था।

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