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'तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा...' CM हिमंत सरमा बोले- CAA के तहत आवेदन नहीं किया तो होगा एक्शन

सीएम सरमा ने कहा कि 2015 से पहले भारत आए किसी भी व्यक्ति को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे आवेदन नहीं करते हैं तो हम उनके खिलाफ केस दर्ज करेंगे। यह एक वैधानिक निर्देश है। हम 2015 के बाद आए लोगों को निर्वासित करेंगे। सीएम ने असम में हिंदू बंगालियों से भी आवेदन करने का आग्रह किया।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Mon, 15 Jul 2024 04:02 PM (IST)
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2015 के बाद आए लोगों को निर्वासित करेंगे- मुख्यमंत्री सरमा (फाइल फोटो)

एएनआई, गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को बताया कि साल 1971 से पहले असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत महज आठ लोगों ने आवेदन किया है। इसमें से केवल दो लोग ही साक्षात्कार देने के लिए आए।

गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में एक प्रेस वार्ता को को संबोधित करते हुए सीएम सरमा ने कहा, "अब तक असम में 1971 से पहले के आठ लोगों ने सीएए के तहत आवेदन किया है और केवल दो ही साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुए हैं।"

तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा- सीएम

उन्होंने आगे कहा कि जो भी व्यक्ति 2015 से पहले भारत आया है, उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे आवेदन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।

2015 के बाद आए लोगों को निर्वासित करेंगे

सीएम सरमा ने कहा, "2015 से पहले भारत आए किसी भी व्यक्ति को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे आवेदन नहीं करते हैं, तो हम उनके खिलाफ केस दर्ज करेंगे। यह एक वैधानिक निर्देश है। हम 2015 के बाद आए लोगों को निर्वासित करेंगे।"

आवेदन करने के बजाय केस लड़ना पसंद करेंगे

वहीं, असम में जिन आवेदकों के खिलाफ 'विदेशी न्यायाधिकरण' के तहत केस दर्ज हैं, उनके बारे में उन्होंने कहा कि अगर केस 2015 से पहले के हैं, तो उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका दिया जाएगा। सीएम ने असम में हिंदू बंगालियों से भी आवेदन करने का आग्रह किया। मगर, उन्होंने कहा कि वे भारतीय हैं और सीएए के तहत आवेदन करने के बजाय केस लड़ना पसंद करेंगे।

कार्यवाही जारी रहेगी

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अगर केस 2015 से पहले के हैं, तो उनके पास आवेदन करने का मौका है। अगर वे आवेदन नहीं करते हैं, तो कार्यवाही जारी रहेगी। हमने असम में हिंदू बंगालियों से भी आवेदन करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे भारतीय हैं और आवेदन करने के बजाय कार्यवाही जारी रखना चाहेंगे।"

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