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Assam NRC List: अंतिम लिस्ट हुई जारी, जानें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें

Assam NRC List असम में भारतीय और विदेशी नागरिकों की पहचान वाले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर की अंतिम सूची प्रकाशित हो गई है।

By TaniskEdited By: Updated: Sat, 31 Aug 2019 01:33 PM (IST)
Assam NRC List: अंतिम लिस्ट हुई जारी, जानें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली, जेएनएन। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मोदी सरकार की एक और बड़ी योजना पर शनिवार को फैसला आ गया। असम में भारतीय और विदेशी नागरिकों की पहचान वाले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर की अंतिम सूची प्रकाशित हो गई है। इस लिस्ट में 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को अंतिम सूची में शामिल करने के योग्य पाया गया। वहीं 19 लाख से ज्यादा लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं है। आइए जानें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें। 

  • केंद्र सरकार के मुताबिक, एनआरसी की फाइनल सूची से बाहर होने वाले लोगों को तुरंत विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। इन लोगों के लिए सभी कानूनी रास्ते खुले होंगे। जिनका भी नाम इस लिस्ट में नहीं होगा वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे। इसके लिए सरकार ने अपील करने की समय सीमा को 60 से बढ़ाकर120 दिन कर दिया है। 
  • असम सरकार ऐसी अपीलों से निपटने के लिए राज्य में 400 विदेशी ट्रिब्यूनलों की स्थापना करेगी। लोग इस साल 31 दिसंबर तक अपील दाखिल कर सकते हैं।
  • ट्रिब्यूनल में जो लोग केस हार जाएंगे, उनके पास हाई कोर्ट और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प होगा। यही नहीं इस दौरान किसी को डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा। 
  • मसौदा एनआरसी में जिन लोगों का नाम शामिल नहीं था और आज प्रकाशित होने वाली अंतिम एनआरसी सूची में उन्हें जगह मिल गई है तो उनके आधार कार्ड जारी किए जाएंगे। एनआरसी अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदा एनआरसी में जगह नहीं बना पाए 36 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डाटा लिया गया है। इन्होंने भारतीय नागरिकता का दावा किया था। इस बायोमीट्रिक डाटा की वजह से आधार कार्ड बनाना संभव होगा।
  • एनआरसी का मसौदा प्रकाशन 31 दिसंबर, 2017 की आधी रात को किया गया था। पूरा मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित किया गया था। 3,29,91,384 (32 लाख ज्यादा) आवेदकों में से कुल 2,89,83,677(28 लाख से ज्यादा) लोग रजिस्टर में शामिल करने के पात्र पाए गए थे।   
  • नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का पहला प्रकाशन असम में साल 1951 में किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इसे अपडेट किया जा रहा है ताकि असम में रह रहे भारतीयों और बांग्लादेशी शरणार्थियों की पहचान की जा सके। 
  • अंतिम सूची से बाहर होने वाले लोगों को केंद्र सरकार से कानूनी सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन लोगों की सहायता के लिए भाजपा और कांग्रेस ने लोगों की सहायता करने के लिए योजना बनाई है। इसके अलावा कई स्वयं सहायता समूह भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। 
  • राज्य में कड़ी में सुरक्षा व्यवस्था की गई है। केंद्र ने राज्य में इसके लिए 20 हजार से ज्यादा अतिरिक्त पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया है। इसके अलावा गुवाहाटी और बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में धारा 144 लागू है।
  • असम की सीमा से सटे राज्यों के साथ असम पुलिस लगातार संपर्क में है ताकि कोई उपद्रव न मचा सके। डीजीपी कुलधर सैकिया ने कहा कि होमगार्ड, टास्क फोर्स और ग्राम रक्षा दलों के कर्मियों को भी कानून - व्यवस्था की स्थिति के रखरखाव के लिए बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है।
  • एनआरसी को लेकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में असम डीजीपी ने लोगों से इसे लेकर सचेत रहने के लिए कहा है। साथ ऐसी कोई भी सूचना मिलने पर उन्हें पुलिस में रिपोर्ट करने को कहा है।
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