SC on Govt Policies: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - हम अपनी हद जानते हैं, लेकिन नोटबंदी मामले की करेंगे सुनवाई
सरकार की नीतियों पर न्यायिक प्रक्रिया की सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि इसे अपनी लक्ष्मण रेखा का पता है। लेकिन संवैधानिक बेंच के पास आए किसी भी मामले पर सुनवाई करना सुप्रीम कोर्ट की ड्यूटी बन जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Monika MinalUpdated: Wed, 12 Oct 2022 05:20 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार की नीतियों की न्यायिक समीक्षा को लेकर देश की शीर्ष अदालत को अपनी सीमा ज्ञात है। नोटबंदी मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वे 'लक्ष्मण रेखा' से भली भांति अवगत हैं। कोर्ट में आज नोटबंदी मामले पर सुनवाई की गई। इस बीच कोर्ट ने कहा कि सरकारी नीतियों को लेकर वे सतर्क हैं लेकिन 2016 में किए गए नोटबंदी मामले में जांच करनी होगी।
संवैधानिक बेंच के पास आए मसले पर जवाबदेही है SC की ड्यूटी
कोर्ट ने कहा कि जब यह मामला संवैधानिक बेंच के समक्ष आया है तो इसपर जवाब देना उनकी ड्यूटी है। 500 रुपये ओर 1000 रुपये के करेंसी नोटों को रद कराने वाली केंद्र के नोटबंदी वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जस्टिस एस ए नजीर की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने केंद्र और रिजर्व बैंक आफ इंडिया से हलफनामा दायर करने को कहा है। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ( R Venkataramani) ने तर्क पेश किया कि जब तक उचित तरीके से नोटबंदी अधिनियम को चुनौती नहीं दी जाती, मामला अकेडमिक ही रहेगा।
उच्च मूल्य बैंक नोट (Demonetisation) अधिनियम साल 1978 में पारित हुआ था। इसके पीछे भी अवैध तौर पर धन का हस्तांतरण रोकना ही लक्ष्य था। शीर्ष अदालत ने कहा कि नोटबंदी का मामला अकादमिक हो गया है या नहीं, इसकी भी जांच करनी है। जस्टिस बी आर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रह्मण्यम और बी वी नागरत्न की बेंच ने कहा, 'हम हमेशा से जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरीके से यह मामला आया है उसकी जांच जरूरी है।
सालिसीटर जनरल तुषार मेहता-
बेंच ने कहा, 'मामले में जवाब देने के क्रम में हमें सुनवाई करनी होगी और जवाब देना होगा कि मामला अकादमिक है, अकादमिक नहीं है या न्यायिक समीक्षा से परे है। इस मामले में सरकार की नीति शामिल है, जो इस मामले का एक अलग पक्ष है। केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकादमिक मामलों पर कोर्ट का समय बर्बाद नहीं होना चाहिए। इसपर सीनियर वकील श्याम दीवान ने आपत्ति दर्ज कराई और कोर्ट का समय बर्बाद होने के मामले पर हैरानी जताई। याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा की ओर से वकील श्याम दीवान हैं।