Ayman al Zawahiri Death: अल जवाहिरी की मौत भारत के लिए राहत भी चुनौती भी, क्या अब देश में टूटेगा अलकायदा समर्थकों का मनोबल
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अल कायदा प्रमुख बनने के बाद अल जवाहिरी ने भारत विरोधी रुख साफ कर दिया था। 2014 में ही उसने कश्मीर की तुलना फिलीस्तीन से करते हुए भारत का साथ देने वाले इस्लामिक देशों की निंदा की थी।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 02 Aug 2022 08:48 PM (IST)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। अल कायदा प्रमुख अल जवाहिरी की मौत भारत के लिए राहत के साथ ही नई चुनौतियां भी खड़ी सकती है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसका आकलन करने में जुटी हैं। एक ओर जहां अल जवाहिरी की मौत से भारत में अल कायदा के समर्थकों का मनोबल गिरना तय माना जा रहा है, वहीं बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने में माहिर सैफ-अल-अद्ल के उसके उत्तराधिकारी बनने से अल कायदा कहीं ज्यादा घातक स्वरूप में सामने आ सकता है। अल कायदा में वह आपरेशन मास्टर के रूप में जाना जाता है।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अल कायदा प्रमुख बनने के बाद अल जवाहिरी ने भारत विरोधी रुख साफ कर दिया था। 2014 में ही उसने कश्मीर की तुलना फिलीस्तीन से करते हुए भारत का साथ देने वाले इस्लामिक देशों की निंदा की थी। इसके साथ ही उसने भारत को अलकायदा की गतिविधियों का केंद्र बनाने के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अलकायदा के अलग संगठन बनाने का ऐलान किया था।
मुसलमानों से एकजुट होने और बदला लेने की अपील की थी
यही नहीं, इसी साल अप्रैल में हिजाब विवाद और जून में नुपुर शर्मा की टिप्पणी से उपजे विवाद पर अलकायदा ने बयान जारी कर मुसलमानों से एकजुट होने और बदला लेने की अपील की थी। वैसे भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की अलकायदा की कोशिशों को सुरक्षा एजेंसियों ने नाकाम कर दिया। वैसे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अल जवाहिरी की मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा इससे आतंकी संगठनों के साथ दूरी बनाने का तालिबान का दावा खोखला साबित हुआ है। उन्होंने आशंका जताई कि अलकायदा की तरह ही अफगानिस्तान में जैश ए मोहम्मद और लश्करे तैयबा को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया जा रहा है।
हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच तनातनी बढ़ने के संकेतध्यान देने की बात है कि दो महीने पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में अफगानिस्तान में जैश ए मोहम्मद और लश्करे तैयबा के ट्रेनिंग कैंप चलने का दावा किया गया था। अल जवाहिरी की काबुल में मौजूदगी की जानकारी अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को लीक करने को लेकर काबुल में काबिज हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच तनातनी बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि अल जवाहिरी को हक्कानी नेटवर्क ने ही काबुल में सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया था। लेकिन तालिबान ने इसकी जानकारी अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को दे दी।
अल कायदा के आतंकियों के इस्लामिक स्टेट से जुड़ने को लेकर भी आशंकितभारतीय सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इससे हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच घमासान की आशंका गहरा गई है, जो अफगानिस्तान में नई अस्थिरता को जन्म दे सकता है। भारतीय एजेंसियां अल जवाहिरी की मौत के बाद अल कायदा के आतंकियों के इस्लामिक स्टेट (IS) से जुड़ने को लेकर भी आशंकित हैं। यदि ऐसा होता है तो आइएस अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बड़े इलाके में मजबूत हो सकता है। इस इलाके में यह आइएसकेपी (इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस) के नाम से सक्रिय है।
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक सीरिया में आइएस में शामिल होने गए भारत से गए लगभग 200 कट्टर युवा आइएसकेपी में सक्रिय है। यदि ऐसा होता है तो आइसएसकेपी की आतंकी हमलों की क्षमता काफी बढ़ सकती है, जो भारत के लिए भी खतरा साबित हो सकता है। इसके साथ ही भारत अलकायदा के नए प्रमुख को लेकर भी आशंकित है।सैफ-अल-अद्ल ले सकता है अल जवाहिरी की जगहएक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैफ-अल-अद्ल अल जवाहिरी की जगह अलकायदा का नया प्रमुख बन सकता है। सैफ बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने में माहिर है, जिसने 1998 में केन्या में अमेरिकी दूतावास के साथ ही कई हमलों अंजाम दिया था। सुरक्षा एजेंसियां के आंकलन के मुताबिक सैफ अलकायदा के आतंकियों को को आइएस की तरफ जाने से रोकने और अलकायदा को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए अल जवाहिरी की तुलना में ज्यादा आक्रामक रुख अख्तियार कर सकता है।