Ayodhya Case Verdict 2019: सुप्रीम कोर्ट के फैसले में महत्वपूर्ण साबित हुईं ये दलीलें
Ayodhya Case Verdict 2019 अयोध्या केस पर ऐतिहासिक फैसले के पीछे दलीलों साक्ष्यों और आस्थाओं की एक लंबी कड़ी है। फैसले में एएसआई की लंबी-चौड़ी रिपोर्ट की भी अहम भूमिका रही।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 09:12 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Ayodhya Case Verdict 2019: राजनीतिक रूप से देश के सबसे संवेदनशील और ऐतिहासिक अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला सामने आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने महज 40 दिन की नियमित सुनवाई के बाद पूरे मामले में स्पष्ट फैसला दिया है। इस फैसले की एक और खासियत ये है कि पांचों जजों ने एक राय होकर फैसला सुनाया है। मतलब पीठ में शामिल पांच जजों में से किसी की राय अलग नहीं रही है।
1. अयोध्या में ही जन्में थे रामसुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदुओं के उस दावे पर मुहर लगा दी है, जिसमें कहा जाता रहा है कि रामलला भगवान राम का जन्म स्थान है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि ये कोरी कल्पना या केवल आस्था नहीं, बल्कि हकीकत है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला का बताया है। कोर्ट ने अपने स्पष्ट फैसले में संतुलन बनाने का भी प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला को सौंप, सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
2. मंदिर तोड़कर नहीं बनी थी मस्जिद - मुस्लिम पक्ष
कोर्ट ने अपने फैसले पर सभी पक्षों के वकील की दलील, उनके द्वारा पेश किए गए साक्ष्य और विवादित स्थल की खुदाई करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की रिपोर्ट पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है। सुप्रीम कोर्ट में एएसआई की ये रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण साबित हुई। वहीं अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि विवादित स्थल पर लंबे समय से नमाज न पढ़े जाने की वजह से मस्जिद के अस्तित्व पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों में दावा किया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं कराया गया था।
3. एएसआई की रिपोर्टसुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एएसआई की खुदाई में निकले सुबुतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। ASI को सर्वेक्षण के दौरान विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के विशाल अवशेष बरामद हुए थे। एएसाई ने अपनी रिपोर्ट में विवादित ढांचे के नीचे मिली विशाल संरचना को 12वीं सदी का मंदिर बताया है। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख किया है कि खुदाई में मिले अवशेष व कलाकृतियों का मस्जिद से दूर-दूर तक कोई लेना नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में एएसआई की रिपोर्ट का विरोध करते हुए इस पर संदेह व्यक्त किया था। मुस्लिम पक्ष नहीं चाहता था, सुप्रीम कोर्ट में एएसआई की रिपोर्ट को साक्ष्य न माना जाए।
4. गलत नहीं है हिंदुओं का दावासुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदुओं के उस दावे पर भी मुहर लगा दी, जिसमें कहा गया था कि विवादित स्थल पर हिंदू पूजा करते रहे थे। अदालत ने कहा कि गवाहों की बयान और किसी भी पक्ष की दलील से हिंदुओं का ये दावा गलत साबित नहीं होता है। अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ, इस दावे का किसी पक्ष ने विरोध नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राम चबूतरा, सीता रसोई, भंडारा बी हिंदुओं के दावे की पुष्टि करते हैं। हिंदु पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि हिंदु मुख्य गुबंद को ही राम जन्म स्थान मानते थे। साक्ष्य के तौर पर हिंदु पक्ष की तरफ से ऐतिहासिक व धार्मिक ग्रंथों का भी हवाला दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अहम बिंदु :-- केंद्र सरकार जो अभी भी जमीन की रिसीवर है, अधिग्रहित जमीन है 67 एकड़ की इसके अलावा विवादित जमीन की देखभाल की जिम्मेदारी केंद्र के पास ही रहेगी।
- तीन महीने में केंद्र एक ट्रस्ट या बोर्ड बनाएगा, जैसे मैनेजमेंट वह रखना चाहेगा बनागएगा। उस ट्रस्ट को जिम्मेदारी होगी कि मंदिर बनाए।- 1580 स्कवायर यार्ड विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। 2.77 एकड़ विवादित जमीन। बाकी जमीन की मालिक केंद्र सरकार ही है।- इनर और आउटर हिस्सा है, विवादित जमीन का है, जहां रामलला विराजमान हैं, जहां पहले केंद्रीय गुंबद था, जहां अभी शिव मंदिर हैं। वो और बाहर का हिस्सा, ही विवादित जमीन माना गया है।
- पूरी जमीन बोर्ड गठित कर केंद्र उसे देगी। वहां मंदिर बनेगा।- मंदिर जरूरी नहीं कि 1580 में ही बने, वहां अधिग्रहित जमीन है उस पर बड़ा मंदिर बनाया जा सकता है। कोई रोक नहीं है।- इनर और आउटर हिस्सा (रामलला विराजमान व सीता रसोई, राम चबूतरा, भंडार) ये पूरा हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाएगा। वो मंदिर निर्माण में इसका इस्तेमाल कर सकेगा।
- जब तक ट्रस्ट या बोर्ड बनता है, तब तक केंद्र सरकार ही जमीन की रिसीवर बनी रहेगी।- जब बोर्ड को जमीन देंगे, केंद्र उसी वक्त उसमें से ही पांच एकड़ हिस्सा या अयोध्या में कहीं भी प्रमुख जगह पर अधिग्रहित जगह दे सकती है।- मस्जिद को जगह देने के लिए राज्य व केंद्र सरकार आपसी समन्वय से जगह का चुनाव करेंगे।- निर्मोही अखाड़ा, का केस आज समय बाधित न फाइल करने के कारण खारिज किया। साथ ही राइडर लगाया है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को शामिल किया जाएगा।