Ram Mandir: पीएम मोदी के दृष्टिकोण और संकल्प सिद्धि की तस्वीर दिखाती अयोध्या, 1990 का वह एक वादा ऐसे साकार हुआ
अयोध्या आज आस्था और विकास की आभा बिखेरती दिखाई दे रही है तो इसके नीचे भाजपा सरकार के प्रयत्नों की गहरी नींव है। श्री राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या के पौराणिक संबंधों को नया मर्म देना अवधपुरी के आध्यात्मक महत्व को संजोना-संवारना हो या अयोध्या के संपूर्ण विकास की बात इन सभी के माध्यम से पीएम मोदी का दृष्टिकोण दिखाई देता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अयोध्या आज आस्था और विकास की आभा बिखेरती दिखाई दे रही है तो इसके नीचे भाजपा सरकार के प्रयत्नों की गहरी नींव है। श्री राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या के पौराणिक संबंधों को नया मर्म देना, अवधपुरी के आध्यात्मक महत्व को संजोना-संवारना हो या अयोध्या के संपूर्ण विकास की बात, इन सभी के माध्यम से पीएम मोदी के दृष्टिकोण और संकल्प सिद्धि की तस्वीर दिखाई देती है।
यहां तक कि मंदिर की मजबूत नींव जैसे तकनीकी पक्ष को लेकर पीएम ने विशेषज्ञों के साथ गहन विमर्श किया, जिसके बाद उस पर काम किया गया। श्री राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का भूमिपूजन पांच अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने किया और अब 22 जनवरी, 2024 को वह श्री रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देशवासियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बीच अयोध्या का कायाकल्प हो चुका है।
पीएम मोदी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है
अयोध्या को लेकर पीएम मोदी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। पहला प्रत्यक्ष तथ्य तो यह है कि इतनी व्यस्तता के बावजूद पीएम बीते चार वर्षों में लगभग दो दर्जन बैठकें सिर्फ अयोध्या के विकास के संबंध में कर चुके हैं। दरअसल, राम जन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से ही सक्रिय मोदी का मानना था कि मंदिर का निर्माण ऐसा हो कि इसके आध्यात्मिक भाव बना रहे और मजबूती ऐसी हो कि हजारों वर्ष तक कोई भी नुकसान न हो।
गहन विचार-विमर्श के बाद मंदिर की नींव तैयार
इसके लिए पीएम के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद ही समिति ने उस तरह से मंदिर की नींव तैयार की। सबसे पहले क्षेत्र से धूल को पूरी तरह हटा दिया गया। एक विशेष कंपाउंड तैयार किया गया, जिसमें सीमेंट की बजाए स्टोन डस्ट और अन्य सामग्री का उपयोग किया गया। एक-एक फुट की ऐसी 45 परतें बिछाई गईं, जिससे एक मजबूत नींव तैयार हुई। विकास को व्यवस्थित रूप से पूर्ण कराने के उद्देश्य से ही उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन कराया।
सीएम, अधिकारियों के साथ समय-समय पर बैठक की
मंदिर निर्माण समिति में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी (से.नि.) नृपेंद्र मिश्र को भेजा। इनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पीएमओ व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समय-समय पर बैठक करते रहे। विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते रहे। पीएम को स्पष्ट निर्देश था कि संपूर्ण अयोध्या का विकास इस तरह हो कि श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए आएं तो वह दो-तीन दिन यहां ठहर सकें, इतना आकर्षण भी हो।
ताकि सामाजिक एकता का संदेश जाए
पीएम मोदी ने ही वहां पर्यटक सुविधा केंद्र, संग्रहालय के अलावा सप्त मंडपम में माता शबरी, देवी अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, निषादराज, अगस्त्य ऋषि आदि को स्थान देने का सुझाव दिया, ताकि सामाजिक एकता का संदेश जाए। यह भी प्रधानमंत्री का ही सुझाव था कि भगवान श्रीराम सूर्यवंशी हैं, इसलिए उनके माथे पर सूर्य की किरण से तिलक होना चाहिए। इस इंजीनियरिंग को भी साकार किया गया है, जिसकी झलक राम नवमी पर दिखाई देगी।
1990 में लिया संकल्प हुआ पूरा
पीएमओ के सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी का अयोध्या को लेकर पुराना लगाव और आस्था थी। बताया जाता है कि 1990 में जब वह अयोध्या गए थे, तब संकल्प लिया था कि अब श्री रामलला का मंदिर बनने पर ही आएंगे। वह संकल्प पूरा हुआ और 2020 में बतौर प्रधानमंत्री वह मंदिर का भूमिपूजन करने ही पहुंचे।
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