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Bageshwar Dham: संत...सियासत-सरकार और बवाल, धीरेंद्र शास्त्री, चंद्रास्वामी से लेकर राधे मां तक हुए 'चमत्कार'

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री हमेशा एक छोटी गदा लेकर चलते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें हनुमान जी की शक्तियां मिलती हैं। धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वो किसी तरह का कोई चमत्कार नहीं करते हैं। वो सिर्फ बालाजी के सामने लोगों की अर्जियां लगाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 31 Jan 2023 05:25 PM (IST)
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Bageshwar Dham know about Saint and politics
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क: Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। चमत्कार, माइंड रीडर, भक्ति, आस्था, विश्वास, अंधविश्वास और ना जाने कितने ही शब्दों को इन दिनों देश की जनता ने बार-बार सुना। लोगों ने ना सिर्फ इन शब्दों को सुना बल्कि इनका अपने-अपने तरीके से अनुभव भी किया, फिर चाहे वो बागेश्वर धाम में मौजूद लोग रहे हों या टेलीविजन के सामने बैठे दर्शक। हर किसी का अपना पक्ष और नजरिया है। वैसे तो धीरेंद्र शास्त्री खुद को बाबा कहलाना पसंद नहीं करते हैं और नही उनकी वेशभूषा किसी संत या साधु की तरह है। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से मामला सुर्खियों में रहा है उसे लेकर यहां इस बात की पड़ताल करना जरूरी है कि भारत की सियासत में संतों का प्रभाव किस तरह से रहा है और उनसे जुड़े विवाद भी कम नहीं रहे हैं। तो चलिए इस रिपोर्ट में इन्हीं सब बातों पर नजर डालते हैं।

बागेश्वर धाम और कौन हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

सबसे पहले बागेश्वर धाम और इससे जुड़ी बातें जानते हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास एक जगह है गढ़ा। यहीं पर बागेश्वर धाम है। यहां बालाजी हनुमान जी का मंदिर है। ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। अभी बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास है। धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 1996 में छतरपुर जिले के गढ़ागंज गांव में हुआ था। धीरेंद्र शास्त्री के दादा पंडित भगवान दास गर्ग बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे। धीरेंद्र के दादा का निधन हो चुका है।

ऐसे शुरू हुआ विवाद

बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा के दौरान लोगों की समस्याएं सुनने और उसका समाधान करने का दावा किया जाता है। कहा जाता है कि भूत-प्रेत से लेकर बीमारी तक का इलाज होता है। समर्थकों का कहना है कि बागेश्वर धाम सरकार लोगों को देखते ही उसकी हर परेशानी जान लेते हैं और समाधान करते हैं। इन्हीं सब बातों को लेकर नगापुर की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने चुनौती दी और यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।

नहीं किया चमत्कार का दावा

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री हमेशा एक छोटी गदा लेकर चलते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें हनुमान जी की शक्तियां मिलती हैं। धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वो किसी तरह का कोई चमत्कार नहीं करते हैं। वो तो सिर्फ बालाजी के सामने लोगों की अर्जियां लगाते हैं, जिसे बालाजी स्वीकार कर लेते हैं। इससे आम लोगों को फायदा होता है। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की तरफ से मिली चुनौती का पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया और मीडिया के कौमरों के सामने जो भी हुआ वो दुनिया ने देखा।

चंद्रास्वामी

धीरेंद्र शास्त्री से पहले एक और शख्स की गूंज भारत से लेकर विदेशों तक सुनाई दी थी। चंद्रास्वामी एक दौर में तमाम मुल्कों के ताकतवर लोगों के साथ उठने-बैठने के लिए मशहूर थे। चंद्रास्वामी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव का सबसे नजदीकी लोगों में से एक थे। कहा तो यहां तक जाता है कि पीवी नरसिम्हाराव से मिलने के लिए उन्हें कभी अप्वाइंटमेंट की जरूरत नहीं पड़ी।

सच साबित हुई भविष्यवाणी

लंबी बाल और दाढ़ी, रुद्राक्ष की माला पहने साधु वेश चंद्रास्वामी का जादू दूसरों के सिर पर चढ़कर बोलता था। पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक 'वॉकिंग विद लायंस' में एक वाकये का जिक्र करते हुए लिखा है कि चंद्रास्वामी ने मार्गरेट थैचर के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी जो बाद में सच साबित हुई।

चंद्रास्वामी पर लगे आरोप

चंद्रास्वामी का जादू कुछ ऐसा था कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि ब्रूनेई के सुल्तान, बहरीन के शासक और कई अन्य देशों के ताकतवर लोग भी उनके भक्त हो गए थे। इस बीच हथियारों की दलाली, हवाला कारोबार, विदेशी मुद्रा अधिनियम का उल्लंघन जैसे कई संगीन आरोपों से भी चंद्रास्वामी सुर्खियों में रहे।

जाना पड़ा जेल

राम मंदिर के निर्माण के लिए 1993 में चंद्रास्वामी ने अयोध्या में सोम यज्ञ का आयोजन किया था। इस आयोजन में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लोग आए थे। 1996 के बाद चंद्रास्वामी का बुरा दौर शुरू हुआ और एक के बाद एक उन पर मुकदमे चलने शुरू हो गए तो उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा।

सत्य साईं बाबा

चमत्कार का दावा करने वालों में एक और नाम आता है सत्य साईं बाबा का। बड़े-बड़े राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड स्टार्स और क्रिकेटर तक उनके भक्त रहे। सत्य साईं बाबा की कहानी अपने आप में अनोखी है। वो खुद को शिरडी के साईं बाबा के अवतार कहा करते थे और उन्होंने संसार त्यागने से पहले ये तक बता दिया था कि वो अगली बार धरती पर कब लौटेंगे। सत्य साईं अपने जीवन में कई विवादों में भी घिरे रहे। उनपर यौन शोषण के आरोप भी लगे। ब्रिटेन के लेबर पार्टी के सांसद टोनी कोलमन और भूतपूर्व ब्रिटिश मंत्री टॉम सैक्रिल ने ये मामला ब्रिटिश संसद में भी उठाया था। उनके खिलाफ विदेश में तमाम केस भी दर्ज किए गए थे।

आसाराम बापू

आसाराम का असली नाम आसुमल सिरुमलानी हरपालानी है, भक्त इन्हें आसाराम बापू के नाम से बुलाते हैं। गुजरात के गांधीनगर की एक अदालत ने आसाराम बापू को 2013 के एक दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले कोर्ट ने आसाराम बापू को दुष्कर्म के मामले में दोषी पाया था। आसाराम पर दो बहनों ने साल 2013 में दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। दिसंबर 2017 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आसाराम को फर्जी बाबा घोषित किया गया था।

राम रहीम

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2017 में दुष्कर्म का दोषी ठहराया गया। 28 अगस्त 2017 को राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। जनवरी 2019 में राम रहीम और तीन अन्य लोगों को पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या का दोषी ठहराया गया। इस मामले में राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। राम रहीम के भक्तों की संख्या बड़ी है और विदेशों में इनके अनुयायी हैं। राम रहीम की गिरफ्तारी के लकेर पंचकुला में हिंसा हुई थी जिसमें 38 लोगों की मौत हो गई थी।

राधे मां

राधे मां का असली नाम सुखविंदर कौर है। 17 साल की उम्र में शादी करने के बाद राधे मां ने अध्यात्म की ओर रुख किया। होशियारपुर के रामदीन दास ने उन्हें राधे मां नाम दिया। शुरू में उन्होंने पंजाब में अपना दरबार लगाना शुरू किया लेकिन समय के साथ मुंबई में दरबार शुरू हुआ। साल 2015 में राधे मां की मिनी स्कर्ट में फोटो वायरल हुई थी। भक्तों ने ही इस फोटो के आधार पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। राधे मां पर मुंबई में व्यवसायी मनमोहन गुप्ता के बंगले पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया गया था।

निर्मल बाबा

निर्मल बाबा टीवी पर प्रवचनों से सुर्खियों में आए। प्रवचन के दौरान निर्मल बाबा अक्सर समस्याओं को ठीक करने के लिए बेतुका समाधान बताने के कारण सुर्खियों में आए। एक भक्त ने आरोप लगाया कि वह मधुमेह का मरीज है बाबा ने उसकी समस्या का समाधान बताते हुए खीर खाने के लिए। खीर खाने के बाद उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया। निर्मल बाबा को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था। देश में निर्मल बाबा के खिलाफ कई धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज की गई हैं। 2017 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 'फर्जी बाबाओं' की सूची में उनका बहिष्कार करने का आह्वान किया था।

सहज और सरल देवरहा बाबा

ये तो बात हुई पंडित धीरेंद्र शास्त्री और चंद्रास्वामी जैसे तमाम लोगों की। लेकिन अब एक ऐसे संत के बारे में आपको बताते हैं जिनका आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया के लोग उनके आश्रम पर आते थे। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के चमत्कारी देवरहा बाबा की। देवरहा बाबा ने अपना पूरा जीवन सहज, सरल और सादे तरीके से व्यतीत किया। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा का बिना पूछे हर किसी के बारे में जान लेना उनकी साधना की शक्ति थी। उनके चमत्कारों की अनेक कहानियां हैं। यही वजह है कि उनका दर्शन करने के लिए देश-दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज भी उनके पास आते थे।

आशीर्वाद लेने पहुंचे जॉर्ज पंचम

देवरहा बाबा का दर्शन कर आशीर्वाद लेने वालों में लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित मदन मोहन मालवीय, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव सहित तमाम नाम शामिल हैं। साल 1911 में जॉर्ज पंचम भी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम आए थे। कहा जाता है कि बरसात के दिनों में सरयू नदी की बाढ़ का पानी उनके मचान को छूने के बाद घटने लगता था। बाबा सरयू नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में बने मचान से भक्तों को दर्शन देते थे।

इंदिरा गांधी को दिया आशीर्वाद

देश में आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुआ तो इंदिरा गांधी बुरी तरह हार गईं। तब इंदिरा गांधी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचीं। बताया जाता है कि उस दौरान बाबा ने इंदिरा गांधी को हाथ का पंजा उठाकर आशीर्वाद दिया था। जिसके बाद से ही कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान हाथ का पंजा हुआ। पंजा निशान पर ही 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की और वो देश की प्रधानमंत्री बनीं।

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