परंपरा और संस्कृति के अनुरूप ही होगा बाजीराव पेशवा के समाधि स्थल का जीर्णोद्धार
ध्य प्रदेश के खरगोन जिले के रावेरखेड़ी में स्थित अपराजेय योद्धा बाजीराव पेशवा प्रथम के समाधि स्थल पर 321 वीं जयंती बनाई गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बाजीराव पेशवा प्रथम को श्रद्धांजलि दी।
By Avinash RaiEdited By: Updated: Wed, 18 Aug 2021 11:41 PM (IST)
जागरण टीम, खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के रावेरखेड़ी में स्थित अपराजेय योद्धा बाजीराव पेशवा प्रथम के समाधि स्थल पर 321 वीं जयंती बनाई गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बाजीराव पेशवा प्रथम को श्रद्धांजलि दी। बाजीराव पेशवा की जयंती के अवसर पर उनकी 28 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की बात कहीं गई।
मराठा परंपरा और संस्कृति के अनुरूप होगा बाजीराव पेशवा प्रथम की प्रतिमा समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 28 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण मराठा परंपरा और संस्कृति के अनुरूप ही किया जाएगा। इस स्थल को ऐसा बनाया जाएगा कि सदियों तक लोग इस प्रतिमा को याद रखेगा। उसके निर्माण में काले रंग के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। मराठा शिल्पकारों से निर्माण करवाया जाएगा। इसके साथ ही नर्मदा घाट और तीर्थ यात्री के लिए निवास भी बनाए जाएंगे।
प्रतिमा के निर्माण में होगा 29 करोड़ खर्च मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाजीराव ने गुरिल्ला युद्ध को परिष्कृत किया। निजाम की सेना को घेरकर घुटने टेकने के लिए मजबूर किया। 29 करोड़ की लागत से 28 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण होगी। बता दें कि पिछले 20 साल से यहां के लोग बाजीराव पेशवा प्रथम की प्रतिमा के लिए शासन और प्रशासन से गुहार लगा रहे थे।
हर-हर महादेव के गूंज से कांपती हैं नकारात्मक शक्तियां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हर-हर महादेव के नारे को देश की नकारात्मक शक्तियों को कंपाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। बाजीराव पेशवा का समाधि स्थल मेरे पूर्वजों ने बनवाया था। बाजीराव ने भगवा परचम विश्व स्तर पर फहराने का कार्य किया।
'सही नाम बाजीराव पेशवे' ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि बाजीराव पेशवा के नाम का अंग्रेजीकरण किया गया है जबकि सही नाम बाजीराव पेशवे है। उन्होंने पूरे भाषण के दौरान पेशवा को पेशवे कहकर ही संबोधित किया।