Bal Gangadhar Tilak: 6 साल जेल में रहते हुए बाल गंगाधर तिलक ने लिख डाली थी 400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य'
Bal Gangadhar Tilak Birth Anniversary 2023 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ। 3 जुलाई 1908 को अंग्रेजों ने गंगाधर तिलक को क्रांतिकारियों के पक्ष में लिखने पर गिरफ्तार किया था। उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई और बर्मा के मंडले जेल में भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान ही तिलक ने 400 पन्नों की किताब गीता रहस्य भी लिखी।
By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 22 Jul 2023 04:34 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Bal Gangadhar Tilak Birth Anniversary: 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा', लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष 1916 में ये नारा दिया था। 23 जुलाई, 1856 को ब्रिटिश भारत में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के रत्नागिरी जिले (वर्तमान में भारत का महाराष्ट्र) में हुआ था।
वह एक भारतीय राष्ट्रवादी, पत्रकार, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लोकप्रिय नेता थे।केशव गंगाधर तिलक, जिन्हें 'भारतीय अशांति के जनक' के रूप में जाना जाता है। वह उन नेताओं में से एक हैं जो भारत में स्वराज या स्व-शासन के लिए हमेशा खड़े हुए। महात्मा गांधी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' भी कहा था।
तिलक की पत्रकार बनने की यात्रा ऐसे हुई शुरू
1877 में उन्होंने पुणे के दक्कन कॉलेज से गणित में अपनी ग्रेजुएशन की। कानून (एलएलबी) की पढ़ाई के लिए उन्होंने अपना एम.ए. कोर्स बीच में ही छोड़ दिया और 1879 में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद वह पत्रकार बन गए।जब क्रांतिकारियों के पक्ष में लेख लिखने पर हो गए थे गिरफ्तार
30 अप्रैल 1908 को खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चंद चाकी ने जज किंग्सफोर्ड को अपना निशाना बनाते हुए एक बम विस्फोट किया था। इसमें दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई थी। अग्रेंजों ने खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर उनपर मुकदमा चलाया।इस गिरफ्तारी के बाद बाल गंगाधर तिलक की जिंदगी बदल गई। उन्होंने दोनों क्रांतिकारियों के पक्ष में अपने अखबार 'केसरी' में लिखा। उनके इस लेख ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए थे। 3 जुलाई 1908 को अंग्रेजों ने तिलक को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें इसकी 6 साल की सजा मिली। उन्हें बर्मा के मंडले जेल में रखा गया, जहां उन्होंने 400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य' लिखा।
इन दो भाषाओं में शुरू किए थे दो अखबार
तिलक ने एक मराठी और एक अंग्रेजी में दो अखबार 'मराठा दर्पण और केसरी' की शुरुआत की। इन दोनों ही अखबारों में तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। इन अखबारों को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाने लगा था।लोकमान्य तिलक की मदद से ही महाराष्ट्र में गणेश और शिवाजी उत्सव को सामाजित तौर पर स्वीकार किया गया। इन त्योहारों के जरिए अंग्रेजों के खिलाफ जागरुकता फैलाया जाता था। उन्होंने युवाओं को अधिक से अधिक शामिल करने के लिए अखाड़े, लाठी क्लब और गाय हत्या विरोधी समितियां भी शुरू की थी।जब तिलक पर चला राजद्रोह का मुकदमा
1896-97 के बीच महाराष्ट्र में प्लेग महामारी फैली और इससे निपटने के लिए महामारी अधिनियम 1897 के प्रावधानों के खिलाफ तिलक ने लेख लिखा, जिसके बाद उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया।- अपने लेखन में तिलक ने कमिश्नर वाल्टर चार्ल्स रैंड को निशाना बनाया था और उनके लेखन से प्रेरित होकर दो युवाओं चापेकर बंधुओं ने रैंड की हत्या कर दी थी।
- ब्रिटिश सरकार ने तिलक को हत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
- इस मामले की सुनवाई और सजा से उन्हें 'लोकमान्य' (जनता का प्रिय नेता) की उपाधि मिली।
- तिलक को 18 महीने जेल की सजा सुनाई गई, जहां उन्होंने पहली बार स्वराज के अपने विचारों को विकसित किया।
चरमपंथियों का युग (1905-1917)
- बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल - इन्हें लाल, बाल, पाल के नाम से जाना जाता था। सभी चरमपंथी नेता थे जिनके लेखन ने देश में कई क्रांतिकारी गतिविधियों को जन्म दिया।
- तिलक ने अपने समाचार पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश शासन और उदारवादी राष्ट्रवादियों के खिलाफ काफी आलोचनाएं की।
- 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत के दिन ही तिलक का निधन हो गया।
- स्वतंत्रता संग्राम में तिलक के योगदान और बलिदान को सम्मान देने के लिए गांधीजी ने तिलक फंड की शुरुआत की।