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बालियान ने कहा- लॉकडाउन में दूध आपूर्ति बाधित होने से डेयरी किसानों को मिल सकता है राहत पैकेज

कोरोना के भय से मजदूरों की कमी और लॉकडाउन की वजह से अंतरराज्यीय आपूर्ति भी बाधित हो गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Fri, 08 May 2020 07:43 PM (IST)
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बालियान ने कहा- लॉकडाउन में दूध आपूर्ति बाधित होने से डेयरी किसानों को मिल सकता है राहत पैकेज
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान के अनुसार सरकार डेयरी किसानों की मदद के लिए उपाय करने पर सोच विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि सहकारी क्षेत्र ने इस दौरान प्रशंसनीय कार्य किया है। इस दौर में सहकारी संस्थाओं ने अपनी क्षमता के मुकाबले 8 फीसद अधिक दूध का संकलन कर डेयरी किसानों को राहत दी है।

लॉकडाउन में दूध की खरीद में कमी का विपरीत असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है

लॉकडाउन में दूध की खरीद पर पड़े प्रभाव के बाद सहकारी संस्थाओं ने आगे बढ़कर कुछ डेयरी किसानों को सहारा दिया, लेकिन उनके दायरे में देश के 25 फीसद से भी कम डेयरी किसान हैं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में दूध की मांग में कमी आने से निजी डेयरी कंपनियों ने भी दूध की खरीद में कमी कर दी है। दूध की सप्लाई चेन में लाखों लोग जुड़े हुए हैं, जिनकी रोटी रोटी इसी पर निर्भर है। इसका विपरीत असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। 

लॉकडाउन से चाय की दुकानें, रेस्टोरेंटए पनीर की बिक्री बंद होने से दूध की खपत ठप 

लॉकडाउन की वजह से चाय की दुकानें, रेस्टोरेंट, मिठाई की दुकानें, पनीर, छोया और अन्य उत्पादों की बिक्री बंद हो गई है। असंगठित क्षेत्र के दूधिओं ने दूध का संकलन लगभग बंद कर दिया है। शादियां और अन्य सामाजिक समारोह और कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। ऐसे में असंगठित क्षेत्र में दूध की खपत ठप हो गई है। इस क्षेत्र में कुल दूध उत्पादन का 50 फीसद से अधिक की खपत होती है। कोरोना के भय से मजदूरों की कमी और लॉकडाउन की वजह से अंतरराज्यीय आपूर्ति भी बाधित हो गई है। बालियान के बयान से डेयरी किसानों को राहत मिल सकती है।

राहत पैकेज: टूटता जा रहा है उद्यमियों का सब्र

उद्यमियों ने कहा, राहत पैकेज में देरी पर रिकवरी करना मुश्किल लॉकडाउन 2 से ही होने लगी थी पैकेज की चर्चा सरकार चालू वित्त वर्ष में बाजार से लेगी 12 लाख करोड़ का कर्जराजीव कुमार, नई दिल्ली।राहत पैकेज 2 को लेकर उद्यमियों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। खासकर छोटे उद्यमी आगे की उत्पादन रणनीति नहीं बना पा रहे हैं। बड़े उद्यमी रिकवरी में देरी की आशंका जता रहे हैं। उद्यमियों के पास नकदी की कमी होती जा रही है।