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दोषी ठहराए जाने वाले नेताओं पर आजीवन लगे चुनाव लड़ने पर रोक, SC में जारी हुई रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि अदालत से दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाए। कानून निर्माताओं को विधायी संस्था में पद धारण करने वालों से ज्यादा पवित्र होने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोग्यता का समय सीमित करने का कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का खुला उल्लंघन है।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Fri, 15 Sep 2023 05:48 AM (IST)
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छह नहीं बल्कि दोषी ठहराए जाने पर आजीवन लगे चुनाव लड़ने पर रोक
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि अदालत से दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाए।

सजा पूरी करने के बाद सिर्फ छह साल के लिए चुनाव लड़ने की अयोग्यता के कानून को चुनौती देने वाली याचिका का समर्थन करते हुए न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने शीर्ष कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा है कि कोई व्यक्ति दोषी ठहराए जाने के बाद किसी विधायी संस्था का पद धारण करने के अयोग्य हो जाता है जबकि दोषी ठहराए जाने पर विधायी संस्था में पद धारण करने की अयोग्यता का कानून बनाने वाला खुद दोषी होने पर सिर्फ एक सीमित समय के लिए अयोग्य माना जाता है।

दोषी ठहराए जाने पर लगा आजीवन प्रतिबंध

कानून निर्माताओं को विधायी संस्था में पद धारण करने वालों से ज्यादा पवित्र होने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोग्यता का समय सीमित करने का कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का खुला उल्लंघन है। वकील अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

13 सितंबर को हंसारिया ने SC में दाखिल की गई रिपोर्ट

इसके अलावा याचिका में सांसदों-विधायकों के आपराधिक मुकदमों की जल्द सुनवाई और निस्तारण सुनिश्चित करने की मांग की गई है। इस मामले में वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय की मदद के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया था। हंसारिया समय-समय पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करते हैं। 13 सितंबर को हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी 19वीं रिपोर्ट में सुझाव दिया कि वर्तमान और पूर्व सांसदों विधायकों के आपराधिक मुकदमों की सुनवाई कर रही।

देश भर की ऐसी विशेष अदालतें अपने यहां लंबित मुकदमों का ब्योरा और निस्तारण में देरी के कारण सहित हर महीने रिपोर्ट दाखिल करें और हाई कोर्ट उन रिपोर्ट पर विचार करके उचित आदेश पारित करें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। मामला सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लगा है।