हिजाब मामले को संविधान पीठ को भेजने की अपील, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शैक्षणिक संस्थानों को ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार
याचिकाकर्ताओं की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार है। हिजाब इससे बिल्कुल अलग है। इससे एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से नित नई दलीलें दिए जाने पर आपत्ति जताई थी।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 11:27 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर रोक के मामले को गुरुवार को याचिकाकर्ताओं ने संविधान पीठ को भेजने की मांग की। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले के महत्व और व्यापक प्रभाव को देखते हुए संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा जाना चाहिए। इसमें न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी का ही मसला नहीं है बल्कि इसमें क्वालीफाइड पब्लिक स्पेस की भी अवधारणा शामिल है।
शैक्षणिक संस्थानों को ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार
याचिकाकर्ताओं की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार है। हिजाब इससे बिल्कुल अलग है। इससे एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से नित नई दलीलें दिए जाने पर आपत्ति जताई जो हाई कोर्ट में नहीं दी गई थीं।
राज्य हमसे निजता का अधिकार छोड़ने को नहीं कह सकता
दूसरे वकील ने हिजाब पर रोक का विरोध करते हुए कहा एक तरफ मेरा सेकुलर एजूकेशन पाने का अधिकार है और दूसरी ओर मेरा निजता और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार है। हिजाब पर प्रतिबंध के राज्य सरकार के आदेश का प्रभाव ये है कि हम तुम्हें शिक्षा देंगे तुम अपना निजता का अधिकार छोड़ो। राज्य हमसे निजता का अधिकार छोड़ने को नहीं कह सकता। आगे की बहस सोमवार को होगी।हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को ठहराया था सही
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ आजकल कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर रोक मामले की सुनवाई कर रही है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूलों में यूनीफार्म की अनिवार्यता और हिजाब पर रोक के राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है।
मामले को संविधान पीठ को भेजने का अनुरोध
कर्नाटक की कई मुस्लिम छात्राओं और संगठनों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। गुरुवार को हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ बहस करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले को संविधान पीठ को भेजने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह सवाल तय होना चाहिए कि क्या पोशाक पहनना स्व अभिव्यक्ति है ये स्वायत्ता से जुड़ी चीज है। मैं मिनी स्कर्ट पहनूं या जो चाहूं पहनूं।हिजाब मेरी संस्कृति, प्रथा का हिस्सा
ड्रेस निजता में आती है जो कि अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति की आजादी है। क्या मेरा यह मौलिक अधिकार पब्लिक प्लेस में नहीं लागू होता। वहां ये खत्म हो जाएगा? संविधान ऐसा नहीं कहता। ड्रेस पहनना अनुच्छेद 19(1)(ए) में अभिव्यक्ति की आजादी है और इस पर सिर्फ 19(2) में तय आधारों पर ही नियंत्रण लगाया जा सकता है। हिजाब मेरा व्यक्तिगत हिस्सा है। मेरी संस्कृति, प्रथा का हिस्सा है, क्या मेरे इस अधिकार को स्कूल के गेट पर रोका जा सकता है।