Bangladesh में हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ उतरे शिक्षाविद और इतिहासकार, खुला पत्र लिख संसद में प्रस्ताव लाने की मांग
Bangladesh Violence बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों के साथ-साथ मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। पड़ोसी मुल्क में हिंदुओं के खिलाफ इस हिंसा के खिलाफ विभिन्न शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने आवाज उठाई है। इन लोगों ने भारतीय संसद को खुला पत्र लिख हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की मांग की है। पत्र में हिंदुओं को न्याय दिलाने की मांग की गई।
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Bangladesh Violence बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। हिंदुओं के घरों के साथ-साथ मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। पड़ोसी मुल्क में अब अंतरिम सरकार तो बन गई है, लेकिन वो भी मूक दर्शक बनी बैठी है।
इस बीच विभिन्न शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने हिंदुओं के खिलाफ इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई है। इन लोगों ने भारतीय संसद को खुला पत्र लिख हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की मांग की है।
खुले पत्र में क्या की गई मांग?
इस खुले पत्र में भारतीय संसद से हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव लाकर हमले रुकवाने की बात कही गई है। इसमें अपराधियों को जल्द पकड़ने की भी मांग की गई है।पत्र में यह भी कहा गया है कि हस्ताक्षरकर्ता सभी लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय द्वारा सामना की जा रही बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए ये पत्र लिखा है। हाल की घटनाओं ने इस क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ लक्षित हिंसा के एक नए और खतरनाक पैटर्न की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है।
हिंदुओं की लिंचिंग का मनाया जा रहा जश्न
पत्र में कहा गया है कि हमें बहुत परेशान करने वाली घटनाएं देखने को मिल रही है, जिनमें मेहरपुर स्थित एक इस्कॉन मंदिर को जलाना, देश भर में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदुओं की लिंचिंग का जश्न मनाते हुए दंगाइयों के वीडियो शामिल हैं।पत्र में ये भी कहा गया कि ये दुख की बात है कि बांग्लादेश में हिंदू आबादी को बार-बार उत्पीड़न झेलना पड़ता है। जब भी राजनीतिक अस्थिरता होती है, हिंसा बढ़ जाती हैं। 1971 से जब से बांग्लादेश का गठन हुआ है, पाकिस्तानी शासन ने लाखों हिंदुओं की हत्या की है।
यह भी पढ़ें- शरद पवार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ की तारीफ में बांधे पुल, बोले- वो धर्मनिरपेक्ष, समुदायों में दरार नहीं आने देंगे