पांच दशक पहले बजा था आजादी का बिगुल, शेख मुजीबुर्रहमान के ऐतिहासिक भाषण से ऐसे पड़ी बांग्लादेश की नींव
Bangladesh Independence Day बांग्लादेश की आजादी को 53 साल हो गए हैं। 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश की आजादी का एलान किया था। 9 महीने तक चले मुक्ति संग्राम के बाद ही बांग्लादेश को आजादी मिल पाई। इसमें भारतीय सेना ने भी अहम भूमिका निभाई थी। भारत 3 दिसंबर 1971 को युद्ध में शामिल हुआ था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Bangladesh Independence Day: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश के लिए 26 मार्च का दिन काफी अहम है। आज से 53 साल पहले 26 मार्च 1971 में ही बांग्लादेश की स्वतंत्रता का एलान किया गया था। इससे पहले बांग्लादेश की पहचान पूर्वी पाकिस्तान के रुप में थी।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के 24 साल बाद ही पाकिस्तान के भी दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तानी सेना ने 16 दिसंबर 1971 को भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इससे पहले जब भारत का विभाजन हुआ था तो पाकिस्तान के हिस्से में पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र आया। पूर्वी क्षेत्र साल 1971 में बांग्लादेश बना था। आपको इस खबर के माध्यम से बताते हैं कि आखिर बांग्लादेश की नींव कैसे पड़ी।
कैसे पड़ी बांग्लादेश की नींव?
साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो गया था। इसी के साथ ही दुनिया के नक्शे पर एक और नए देश का नाम दर्ज हुआ। इस देश को नाम मिला पाकिस्तान। हालांकि, पाकिस्तान के हिस्से में दो क्षेत्र आए। एक भारत के पश्चिम में था तो दूसरा पूर्व में था। इन्हें पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान कहा गया। पश्चिमी पाकिस्तान की भाषा ऊर्दू थी तो वहीं पूर्वी पाकिस्तान की भाषा बांग्ला थी। हालांकि, मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया गया। पश्चिमी पाकिस्तान के इस रवैये ने ही बांग्लादेश बनने की नींव डाली।ऐतिहासिक भाषण ने रखी आजादी की नींव
- साल 1970 में पाकिस्तान में पहले आम चुनाव हुए थे। 1970 में हुए चुनाव में शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में बड़ी जीत दर्ज की।
- शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी ने संसद में बहुमत भी हासिल किया था। हालांकि, रहमान को सरकार बनाने नहीं दिया गया।
- 7 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में पूर्वी पाकिस्तान के ढाका में एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 10 लाख लोगों ने शिरकत की।
- शेख मुजीबुर्रहमान ने इसी रैली में एक ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिससे बांग्लादेश की आजादी की नींव पड़ी।
- शेख मुजीबुर्रहमान के इस भाषण को साल 2017 में UNESCO द्वारा विश्व विरासत की सूची में जगह दी गई।
- हालांकि, इस भाषण के कुछ दिनों के बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और पाकिस्तानी सेना द्वारा पूरे बांग्लादेश में सर्चलाइट ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।
- आधी रात को पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश पर हमला बोल दिया और रहमान की गिरफ्तारी के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए।
- इस दौरान पाकिस्तानी सेना के जघन्य सैन्य अभियान में 30 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
बांग्लादेश की आजादी का एलान
बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान ने 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश के स्वतंत्र होने का एलान कर दिया। बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बांग्लादेश की आजादी के लिए लगभग 9 महीने तक संघर्ष चला। बांग्लादेश की आजादी में भारतीय सेना ने अहम भूमिका निभाई। 3 दिसंबर 1971 को भारत इस युद्ध में शामिल हो गया। 13 दिन तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना को भारत के सामने 16 दिसबंर 1971 को आत्मसमर्पण कर दिया। इस जंग के खत्म होने के साथ ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश भी अस्तिव में आया। बांग्लादेश की आजादी के बाद शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। साथ ही उन्हें बंगबंधु की उपाधि भी मिली। उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी माना जाता हैं।यह भी पढ़ें- Vijay Diwas: भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर किया था मजबूर, 93000 पाक सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पण यह भी पढ़ें- '1971 का युद्ध भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों का आधार', ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा और क्या बोले?