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Exclusive: 'भारत ने शेख हसीना पर लगाया गलत दांव', खालिदा जिया के पूर्व सलाहकार ने कहा- ढाका में स्थिति पूरी तरह सामान्य

हालात सुधर रहे हैं। ढाका व इसके आसपास के इलाकों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हैं। दूसरे इलाकों में भी हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। यह बात बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया के पूर्व सलाहकार ने कही है। उन्होंने कहा कि हालात को सामान्य करना देश के सभी संस्थानों को सुचारू तौर पर चलाना ही प्राथमिकता है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 13 Aug 2024 08:56 PM (IST)
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बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना। फाइल फोटो।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बांग्लादेश में पांच अगस्त के घटनाक्रम के बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का राजनीतिक वनवास खत्म हो चुका है। मुहम्मद यूनुस की अगुआई में गठित अंतरिम सरकार में शामिल किए गए कई सलाहकार बीएनपी से परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।

ऐसे में पार्टी की आगे की रणनीति, बांग्लादेश-भारत के रिश्तों व पूर्व पीएम शेख हसीना को लेकर पार्टी के विचार जानने के लिए विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन ने बीएनपी नेता, बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया के पूर्व सलाहकार और पूर्व वाणिज्य व उद्योग मंत्री अमीर खासरू महमूद चौधरी से लंबी बात की।

ढाका स्थित अपने निवास स्थान से टेलीफोन पर मंगलवार सुबह की गई इस बातचीत में चौधरी पिछले 15 वर्षों के दौरान भारत सरकार की तरफ से हसीना व उनकी पार्टी अवामी लीग को दिए गए समर्थन को लेकर नाराज नजर आए लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत-बांग्लादेश के भावी रिश्तों पर इसका असर नहीं आएगा।

पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश

अभी बांग्लादेश की आंतरिक स्थिति कैसी है?

हालात सुधर रहे हैं। ढाका व इसके आसपास के इलाकों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हैं। दूसरे इलाकों में भी हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। सरकार की सारी एजेंसियों ने काम करना शुरू कर दिया है। खासतौर पर न्यायपालिका और पुलिस विभाग में कर्मचारियों, अधिकारियों के लौटने से काम सुचारू होने लगा है, लेकिन आपको यह भी याद रखना होगा कि यह बहुत बड़ा आंदोलन था। इसकी व्यापकता का पता बाहर से नहीं लगाया जा सकता। सत्ता में काबिज किसी तानाशाह को हटाना आसान नहीं होता। मिस्र, इराक जैसे उदाहरण हमारे सामने हैं जब महीनों तक इन देशों की स्थिति खराब रही थी। इस लिहाज से बांग्लादेश में सिर्फ शुरू के तीन-चार दिन अस्थिरता वाले रहे हैं।

अंतरिम सरकार की प्राथमिकता क्या होगी? आपकी पार्टी क्या सुझाव दे रही है?

हालात को सामान्य करना, देश के सभी संस्थानों को सुचारू तौर पर चलाना ही प्राथमिकता है। लेकिन अपने कार्यकाल के 15 वर्षों में पीएम हसीना ने जिस तरह से पुलिस प्रशासन, न्यायपालिका, वित्तीय व्यवस्था, बैंकिंग व्यवस्था आदि को बर्बाद किया है, उसे रास्ते पर लाना आसान नहीं है। लोकतंत्र के लिए जरूरी सारे संस्थान अंदर से जर्जर हो चुके हैं। न सिर्फ केंद्रीय संस्थान बल्कि राज्यों के अधीन काम करने वाले संस्थानों की भी यही स्थिति है। हर जगह अवामी लीग के गैर-प्रोफेशनल लोगों की नियुक्तियां की गई हैं। इनको सुधारने का काम शुरू किया गया है। एक-दो महीने का समय लगेगा।

ऐसे में भारत को आप क्या संदेश देना चाहेंगे, जिसके ताल्लुक पूर्व पीएम हसीना के साथ बहुत ही करीबी थे?

मैं आज से नहीं बल्कि काफी अरसे से भारत से कह रहा हूं कि वह बांग्लादेश को लेकर अपनी नीति बनाए, शेख हसीना या उनकी पार्टी को लेकर नहीं। मैं बीएनपी का ऐसा सदस्य हूं जो लगातार भारत की यात्रा करता रहा हूं और हर बार मैंने वहां के लोगों को यही सुझाव दिया है। भारत और बांग्लादेश का रिश्ता एक-दो राजनीतिक दलों पर नहीं टिका होना चाहिए बल्कि यह व्यापक हितों में दोनों देशों की जनता व समूचे दक्षिण एशिया के संदर्भ में होना चाहिए। भारत ने हसीना पर दांव लगाकर एक 'एयर बबल' बना दिया था, अब यह फूट चुका है। हमें आगे देखना चाहिए। हमें उम्मीद है कि भारत अब समूचे बांग्लादेश को एक साथ लेकर आगे चलेगा। भारत इस क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है, उसका दायित्व ज्यादा बड़ा है।

हसीना भारत में ही हैं, क्या इससे भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर असर हो सकता है?

शेख हसीना कहां रहती हैं या नहीं रहती हैं, यह फैसला भारत को करना है। बांग्लादेश की मौजूदा या भावी सरकार पर इसका असर नहीं होगा। जहां तक आम बांग्लादेशी का सवाल है तो वह साफ तौर पर मानता है कि हसीना ने उनके देश को धोखा दिया है और उसे आज इस स्थिति में पहुंचा दिया है। अगस्त में कुछ सौ छात्र मारे गए लेकिन इसके पहले हजारों लोगों की हत्याएं हसीना के कार्यकाल में हुई हैं।

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