Bangladesh Protest: भारत के लिए सिरदर्द बनेगा जमात-ए-इस्लामी? बांग्लादेश में गठित होने वाली अंतरिम सरकार पर है नजर
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनने वाली सरकार पर भारत की कड़ी नजर है। अंतरिम सरकार में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है।ऐसे में भारत बांग्लादेश के पूरे हालात पर काफी सतर्क निगाह बनाये हुए है। भारत निश्चित तौर पर चाहता है कि वहां हिंसा खत्म होअल्पसंख्यकों व उनके धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमले खत्म हो और वहां शांति बहाली हो।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को भारत से भी शिकायत है और उन्होंने अपने देश में लोकतंत्र का दमन करने के लिए पूर्व पीएम शेख हसीना के साथ ही भारत को भी जिम्मेदार ठहराया है। भारत को इससे खास चिंता नहीं है।
भारत को सता रही इस बात की चिंता
भारत की असली चिंता यूनुस के नेतृत्व में गठित होने वाली अंतरिम सरकार के दूसरे सदस्यों को लेकर है। वैसे इस बारे में बुधवार देर शाम तक खबर लिखे जाने तक कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जो सूचनाएं ढाका से आ रही है उससे साफ है कि अंतरिम सरकार में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी की तरफ से इसमें बड़ी हिस्सेदारी लेने की कोशिश हो रही है।
भारत करीब से रख रहा बांग्लादेश की स्थिति पर नजर
कुछ बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकता है लेकिन आवामी लीग को इसमें प्रतिनिधित्व मिलने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में भारत बांग्लादेश के पूरे हालात पर काफी सतर्क निगाह बनाये हुए है। दैनिक जागरण ने इस विषय पर सत्ता से जुड़े लोगों से बात की। नीति निर्धारण से जुड़े इन लोगों को भरोसा है कि भविष्य में बांग्लादेश में किसी भी पार्टी की सरकार आये, वह भारत के साथ हसीना कार्यकाल जैसे संबंध बने न बने लेकिन संबंध ठीक रखने की कोशिश जरूर होगी। इसके पीछे यह कुछ ठोस वजहें भी बताते हैं।बांग्लादेश में शांति बहाली पर जोर
आवश्यक वस्तुओं, बिजली, ईंधन आदि की जैसी आपूर्ति आज भारत कर रहा है वैसा दुनिया का कोई देश बांग्लादेश को नहीं कर सकता। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि, 'अभी ढाका की स्थिति स्थिर नहीं है। बहुत कुछ भविष्य के गर्भ में है। ऐसे में हम इंतजार करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते। भारत निश्चित तौर पर चाहता है कि वहां हिंसा खत्म हो, अल्पसंख्यकों व उनके धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमले खत्म हो और वहां शांति बहाली हो। जब वहां सामान्य तौर पर सरकार काम करने लगेगी तभी आगे कोई और बातचीत होगी।
हिंदू धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमले
भारत ने आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन जिस तरह से सरकार गठन के परामर्श में जमात ए-इस्लामी और बीएनपी सक्रिय है वह कुछ चिंता जरूर पैदा कर रहा है। खास तौर पर जमाते-इस्लामी का रवैया हमेशा से भारत विरोधी रहा है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद जिस तरह से हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले हुए हैं उसमें भी जमात का हाथ ही हाथ है।इस मामले में भारत पर निर्भर है बांग्लादेश
इसके बावजूद भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी यह मानते हैं कि आज बांग्लादेश के आम जन-जीवन में जो स्थान भारत का है, उसकी भरपाई दूसरा कोई देश नहीं कर सकता। एक उदाहरण, चीनी, चावल, गेहूं, आलू, प्याज जैसे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में दिया जा सकता है। इन आवश्यक खाद्य उत्पादों की आपूर्ति में बांग्लादेश काफी हद तक आयात पर निर्भर है और आयात का बड़ा हिस्सा भारत से होता है।