बांग्लादेश हिंसा से मेघालय के गांव में क्यों बढ़ी चिंता? रात भर निगरानी कर रहे ग्रामीण, BSF की निगरानी में खेल रहे बच्चे
Bangladesh Violence बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच सीमा से सटे भारतीय इलाकों में भी निगरानी बढ़ा दी गई है। बॉर्डर पर स्थित मेघालय के एक गांव में इस समय चिंता काफी बढ़ गई है क्योंकि यहां पर केवल बांस के बाड़ से भारत-बांग्लादेश की सीमा अलग होती है। ऐसे में ग्रामीण बाड़ मजबूत करने में जुट गए हैं और रातभर जागकर निगरानी कर रहे हैं।
पीटीआई, शिलांग। बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और उनके देश छोड़ने के बाद फैली अशांति से मेघालय में अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ मीटर दूरी पर बसे एक गांव के लोग सीमा पार से घुसैपठ की आशंका को लेकर काफी चिंचित हैं।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार ईस्ट खासी हिल्स जिले के लिंगखॉन्ग गांव के लोग बांग्लादेश को उनके गांव से अलग करने वाली बांस की बाड़ को मजबूत करने में लगे हैं और रात भर जागकर निगरानी तक कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने सीमा पर बनाया बांस का बाड़
इस गांव में 90 से अधिक लोग रहते हैं, जिन्होंने सीमा पार से होने वाले मामूली अपराधों को रोकने के लिए कोविड महामारी के दौरान सीमा पर बांस की एक पतली बाड़ लगा दी थी। लिंगखॉन्ग, मेघालय के उन क्षेत्रों में से एक है, जहां भूमि सीमांकन संबंधी मुद्दों और अंतरराष्ट्रीय सीमा स्तंभ या जीरो लाइन के 150 गज के भीतर बस्तियों के होने के कारण सीमा बाड़ का निर्माण नहीं किया जा सका।गांव पर नजर डालें तो पता चलेगा कि यहां अधिकतर घर अंतरराष्ट्रीय सीमा के बेहद करीब हैं और यहां का एकमात्र फुटबॉल मैदान जीरो लाइन पर है, जहां बच्चे हर समय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की निगरानी में खेलते हैं।
बीएसएफ ने बढ़ाई चौकसी
इस गांव की निवासी 42 वर्षीय डेरिया खोंग्सदिर ने चिंता जाहिर करते हुए पीटीआई से कहा, 'पांच अगस्त को जब बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं बढ़ीं तो उस समय हम काफी चिंतित थे और रातभर सो नहीं पाए। हमें डर था कि बांग्लादेश में हमारे पड़ोसी हिंसक हो सकते हैं। राहत की बात रही कि बीएसएफ ने अपनी चौकसी बढ़ा दी तथा गांव में स्थित अपनी चौकी में और अधिक जवानों को तैनात कर दिया।'उन्होंने कहा, 'साथ ही गांव के रक्षा दल और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी रात जागने वाले लोगों को भी तैनात कर दिया गया।' डेरिया ने कहा, 'हमारी सुरक्षा के लिए एकमात्र यह बांस की बाड़ है। इससे गांव के स्तर पर छोटे-मोटे अपराधों को रोकने में मदद मिली है, लेकिन गंभीर स्थिति में यह कारगर होगी या नहीं, इसका कुछ नहीं कह सकते।'