राजस्थान समेत यूपी और दिल्ली में अभी फिर चलेगी तेजी आंधी, आप रहें तैयार
सफर इंडिया के पूर्वानुमान के मुताबिक, वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने वाला है। सप्ताहांत में लोगों को प्रदूषण परेशान करेगा। पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर सामान्य से काफी अधिक रहेगा।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। बारिश की वजह से दिल्लीवासियों को दो दिन साफ हवा में सांस लेने का मौका मिला, लेकिन अब बारिश का असर खत्म होने वाला है। सफर इंडिया के पूर्वानुमान के मुताबिक, वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने वाला है। सप्ताहांत में लोगों को प्रदूषण परेशान करेगा। पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर सामान्य से काफी अधिक रहेगा। इसकी वजह तेज हवा के साथ उड़ने वाली धूल होगी। सीपीसीबी के मुताबिक, बृहस्पतिवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 156 रहा। लेकिन, सफर के मुताबिक, शुक्रवार को यह बढ़कर 221 पहुंच सकता है। वहीं, पीएम 10 का स्तर 222 एमजीसीएम और पीएम 2.5 का स्तर 97 एमजीसीएम रह सकता है। जबकि शनिवार को पीएम 10 का स्तर 263 और पीएम 2.5 का स्तर 114 पहुंच सकता है। वहीं, ईपीसीए के अनुसार मौसम विभाग, स्थानीय निकायों और सभी विभागों को प्रदूषण कम करने के लिए व्यापक कदम उठाने के लिए कहा गया है। मई में पिछले साल भी दिल्ली वालों ने कुछ दिन बेहद खराब श्रेणी की हवा में सांस ली थी।
मौसम विभाग का कहना
हालांकि मौसम विभाग का कहना है कि मौसम में आया ये बदलाव कोई नया नहीं है। इस तरह की चीजें हर साल देखने को मिलती हैं। इसमें कुछ बदलाव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से होता है जो हर वर्ष कम या ज्यादा होते रहते हैं। आपको बता दें कि मई की भीषण गर्मी के बीच बुधवार की रात अचानक आए तूफान और बवंडर ने कई राज्यों में कहर बरपाया था। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हुआ है। इसमें 127 लोगों की मौत हुई। अकेले उत्तर प्रदेश में 70 और राजस्थान में 36 मौतें हुई हैं। उत्तर प्रदेश में भी सबसे ज्यादा 43 मौतें आगरा में हुईं।
काल बैशाखी
दरअसल, पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती तूफान के चलते देश के उत्तरी पश्चिमी राज्यों में पहले धूल भरी तेज हवाएं चली। इसके बाद गरज के साथ भारी बारिश व ओलावृष्टि हुई। मौसम के इस बिगडै़ल मिजाज के अगले तीन-चार दिनों तक बने रहने की आशंका है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौर ने बताया, ‘गंगा के मैदानी क्षेत्र, बंगाल, बिहार, झारखंड और समूचे छोटा नागपुर वाले इलाके में गरमी के मौसम में आने वाले ऐसे तूफान को ‘काल बैशाखी’ कहा जाता है। मौसम विभाग ने समूचे उत्तरी पश्चिमी राज्यों में लोगों को चक्रवाती तूफान से बचने की हिदायत देते हुए कहा है कि अगले तीन-चार दिनों तक चक्रवाती तूफान की आशंका है। राजस्थान में धूल भरी आंधी के साथ बारिश होगी, वहीं मैदानी क्षेत्रों में ओलावृष्टि के साथ बारिश और तेज हवाएं चलने के आसार हैं।
अभी और आएंगी आंधी
मौसम के बदलते मिजाज पर भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक जी डॉक्टर देवेंद्र प्रधान का कहना था कि मानसून के महीने से पहले इस तरह की एक्टीविटी हर बार देखने को मिलती है। उनके मुताबिक इस तरह की एक्टीविटी मौसम में 15 जून तक और देखने को मिल सकती हैं। इस दौरान धूल भरी आंधी के साथ-साथ कहीं-कहीं पर ओलों के साथ बारिश भी होगी। प्रधान ने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि जिस तरह से पिछले दिनों राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में तेज आंधी आई थी वैसा दोबारा नहीं होगा। उनका साफतौर पर कहना था कि इस तरह की आंधी न सिर्फ राजस्थान में बल्कि उत्तर प्रदेश समेत दिल्ली में भी आ सकती है। हालांकि वह ये भी मानते हैं कि ऐसा हर वर्ष होता है।
मौसम की अनिश्चितता
उनका कहना है कि जब तापमान 40 या 41 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो वहां पर मौसम में एक अनिश्चितता बन जाती है। इसी वजह से काफी बड़े इलाके में धूल भरी आंधी आती है। इनकी रफ्तार 72-90 किमी प्रति घंटा या इससे कहीं अधिक तक हो सकती है। यह कभी-कभी इतनी तेज होती हैं कि इनकी वजह से जान-माल का भी काफी नुकसान होता है, जैसा कि पिछले दिनों देखने को मिला है। उनका यह भी कहना था कि यह कभी ज्यादा या कभी कम हो सकता है। उनके मुताबिक मौसम विभाग इस बार तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा होने की बात पहले ही कह चुका है। डॉक्टर प्रधान का कहना है कि लगभग समूचे उत्तर भारत में आने वाले दिनों में तेज आंधी देखने को मिलेंगी।
आम लोगों तक जानकारी पहुंचाएगा मौसम विभाग
राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में जिस तरह से पिछले दिनों तेज आंधी देखने को मिली थी इसको देखते हुए मौसम विभाग ने चेतावनी भी जारी की है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि मौसम विभाग जिस तरह से चेतावनी जारी करता है वह कॉमनमैन तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसके लिए विभाग काम कर रहा है जिससे इसकी पहले से जानकारी आम आदमी को देकर जान-माल की हानि से बचा जा सके। हालांकि वह मौसम के बदलते मिजाज के लिए ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि भारत में आंधी का आना ग्लोबल वार्मिंग की वजह नहीं हो सकती है। इसका असर कुछ वर्षों के बाद जरूर देखने को मिल सकता है।
दिल की बीमारियों से मौत
प्रदूषण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि प्रदूषण सांस की बीमारियों के अलावा हृदय व फेफड़े के कैंसर से होने वाली मौतों का भी बड़ा कारण बन रहा है। इस बीच दिल्ली में मृत्यु पंजीकरण रिपोर्ट के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि राजधानी में पिछले 12 सालों में दिल की बीमारियों से मौत के मामले दोगुने बढ़े हैं। वहीं, कैंसर से होने वाली मौतों में करीब तीन गुना वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञ इन बीमारियों के बढ़ने का एक बड़ा कारण प्रदूषण को मान रहे हैं।
दिल्ली में मौत का सबसे बड़ा कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में हृदय की बीमारी मौत का सबसे बड़ा कारण है। वर्ष 2016 में हार्ट अटैक व हृदय की बीमारियों से 16,665 लोगों की मौत हुई, जिसमें 15,919 लोगों की मौत अस्पतालों में हुई थी। पहले दिल्ली में कैंसर से हर साल करीब दो हजार लोगों की मौत होती थी मगर अब यह आंकड़ा बढ़कर 6000 के आसपास पहुंच गया है। वर्ष 2011 में ऐसा भी वक्त था जब यहां कैंसर से 9925 मरीजों की मौत हुई थी। हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 10 में से नौ लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा नहीं मिल पा रही है। यह खतरनाक स्थिति है प्रदूषण को दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। गैर संक्रमित बीमारियों के बढ़ने का यह भी एक कारण है।
29 फीसद मौत का कारण प्रदूषण
हृदय की बीमारियों से होने वाली 24 फीसद, स्ट्रोक से 25 फीसद व फेफड़े के कैंसर से होने वाली 29 फीसद मौत का कारण प्रदूषण है। बत्रा अस्पताल के बत्रा हार्ट सेंटर के चेयरमैन डॉ. उपेंद्र कौल ने कहा कि दिल्ली में हृदय की बीमारियों के बढ़ने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, जिसमें जीवनशैली भी शामिल है पर एक कारण प्रदूषण भी है। वातावरण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 या उससे सूक्ष्म कण फेफड़े में फिल्टर नहीं हो पाते हैं। वह खून के साथ धमनियों में पहुंचकर चिपक जाते हैं। इस वजह से रक्त का थक्का बनने लगता है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक हो सकता है।