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कब्ज, मोटापा, तोंद और पेट संबंधी अन्य समस्याओं से निजात दिलाता है 'उत्तानपादासन'

Uttanpadasana Benefits And Precautions उत्तानपादासन पेट के लिए बेहतरीन यौगिक क्रिया है। इसका निरंतर अभ्यास साबित होता है हर उम्र के लिए फायदेमंद...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 09 Jun 2020 03:30 PM (IST)
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कब्ज, मोटापा, तोंद और पेट संबंधी अन्य समस्याओं से निजात दिलाता है 'उत्तानपादासन'
नई दिल्‍ली। Uttanpadasana Benefits And Precautions: लॉकडाउन के दौरान जीवनशैली में आए परिवर्तनों के कारण कई लोग मोटापे का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उत्तानपादासन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह बहुत ही सरल आसन है, जिसे आप घर में प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।

क्या है उत्तानपादासन: उत्तानपादासन कब्ज, मोटापा, तोंद और पेट संबंधी अन्य समस्याओं से निजात दिलाता है। जिन लोगों को ऐब्स या सपाट पेट की इच्छा हो, वो इस आसन को रोजाना कर सकते हैं। इस आसन से पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने और पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद मिलती है। इसके अभ्यास से नाभि भी अपने स्थान पर आ जाती है। यह आसन द्विपादासन नाम से भी प्रसिद्ध है।

उत्तानपादासन के लाभ

  • नियमित अभ्यास करने से यह आपकी पीठ को मजबूत करता है।
  • यह आसन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो नाभि उतरने जैसी समस्याओं का अक्सर सामना करते हैं।
  • इस आसन को रोजाना करने से कूल्हे, पीठ और जांघ की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं। पेट सळ्डौल होता है।
  • उत्तानपादासन वजन कम करने के अतिरिक्त पेट की बीमारियों जैसे कब्ज और एसिडिटी को दूर करने में भी कारगर है।
इन स्थितियों में न करें

उत्तानपादासन

  • अगर आपको पेट या पीठ में दर्द हो तो इसका अभ्यास न करें।
  • सरवाईकल, स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों को ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप मां बनने वाली हैं या मासिक धर्म हो रहा है तो इससे परहेज करें।
  • जो लोग स्लिप डिस्क और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, उन्हें इसका अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है।
आसन करने का तरीका

  • पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं।
  • दोनों हथेलियों को जांघों के साथ भूमि पर स्पर्श करने दें।
  • पैरों को जमीन से 45-90 डिग्री पर उठाएं और धीरे- धीरे सांस लें।
  • लोअर एब्स में दबाव महसूस करने के लिए इस पोज को 15-20 सेकेंड तक होल्ड करें।
  • श्वांस छोड़ते समय अपने पैरों को जमीन की ओर वापस लाएं।
नोट: योग चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें