देश की बेटियां बनेंगी और सशक्त, Beti Bachao Beti Padhao के तहत होगी अब जिलों की रैंकिंग
Beti Bachao Beti Padhao महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जिलों के प्रदर्शन को रैंक करने और उसके अनुसार उन्हें प्रोत्साहित करने की तैयारी कर रही है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि 516 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात डब्ल्यूएचओ मानक से कम है और 169 जिलों में अभी भी एसआरबी 918 से कम या उसके बराबर है
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 02 Oct 2023 01:39 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की प्रगति में तेजी लाने के लिए सरकार एक नया तंत्र विकसित करने जा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जिलों के प्रदर्शन को रैंक करने और उसके अनुसार उन्हें प्रोत्साहित करने की तैयारी कर रही है। 2015 में शुरू की गई इस अभियान का उद्देश्य भारत में बाल लिंगानुपात को बढ़ाना और लड़कियों और महिलाओं के जीवन को सशक्त बनाना है।
516 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात WHO मानक से कम
देश में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) 2014-15 में 918 से सुधरकर 2019-20 में 934 हो गया है, लेकिन यह अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय मानक 952 से नीचे है।
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि 516 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात डब्ल्यूएचओ मानक से कम है और 169 जिलों में अभी भी एसआरबी 918 से कम या उसके बराबर है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पहल के तहत जिलों को धन उनकी एसआरबी स्थिति पर जारी की जाती है।
जानें क्या है मंत्रालय का लक्ष्य?
918 से कम या उसके बराबर एसआरबी वाले जिलों को अतिरिक्त सहायता मिलती है। मंत्रालय का लक्ष्य लड़कियों और महिलाओं के कल्याण को बढ़ावा देने में जिलों द्वारा की गई प्रगति का आकलन करना और प्रोत्साहित करना है।
इसमें लड़कियों की सुरक्षा, अस्तित्व, स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास को शामिल करते हुए व्यापक विषयों में वर्गीकृत किया जाएगा। जिला स्कोरकार्ड के आधार पर मंत्रालय वार्षिक जिला बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ रैंकिंग जारी करेगा।