Bhagat Singh Birth Anniversary: भगत सिंह कैसे बने शहीद-ए-आजम, उनके ये किस्से जान आप भी करेंगे जज्बे को सलाम
Bhagat Singh Birth Anniversary आज ही के दिन सन् 1907 में पाकिस्तान के लायलपुर में महान क्रांतिकार भगत सिंह का जन्म हुआ था वही क्रांतिकार जिसने देश की आजादी की अलख जगाई। जिसने बताया कि स्वतंत्रता के लिए अगर प्राणों की आहुति भी देनी पड़े तो भी पीछे नहीं हटा जाना चाहिए। भगत सिंह कॉलेज के समय में ही चंद्र शेखर आजाद और बाकी क्रांतिकारी शामिल थे।
By Prince SharmaEdited By: Prince SharmaUpdated: Thu, 28 Sep 2023 07:37 AM (IST)
नोएडा, ऑनलाइन डेस्क। आज ही के दिन सन् 1907 में पाकिस्तान के फैसलाबाद में लायलपुर में महान क्रांतिकार भगत सिंह का जन्म हुआ, वही क्रांतिकार जिसने देश की आजादी की अलख का दीपक जलाया। वही क्रांतिकार जिसने बताया कि स्वतंत्रता के लिए अगर प्राणों की भी आहुति देनी पड़े तो भी पीछे नहीं हटा जाना चाहिए।
कॉलेज दिनों से ही थे क्रांतिकारी
भगत सिंह क्रांतिकारी गतिविधियों में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के माध्यम से जुड़े। सन् 1917 में जलियांवाला हथियाकांड ने उनकी मनोदशा पर व्यापक छाप छोड़ी, उस दौरान तक वह गांधी जी के विचारों से काफी हद तक प्रेरित थे, मगर इस नरसंहार में गांधी जी की उचित प्रतिक्रिया ना मिलने से भगत सिंह को दुख हुआ और इसके बाद उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर रुख लिया। वह रास्ता, जिस पर चलकर आजादी पाई जा सकती थी।
भगत सिंह कॉलेज के समय में ही चंद्र शेखर आजाद और बाकी क्रांतिकारी जैसे सुखदेव राजगुरु, शिव वर्मा, बिजॉय कुमार सिन्हा जैसे अन्य क्रांतिकारियों से मिले। उस टोली में अंग्रजों की गुलामी और उनके दंश से पीछा छुड़ाने की एक जिद थी। यही कारण था कि कॉलेज में भी अन्य विद्यार्थियों को भी वह आजादी का पाठ पढ़ाना नहीं भूलते थे। वह लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ाई किया करते थे।
लाला लाजपत राय की मौत से हुए आहत, ऐसे लिया बदला
भगत सिंह लाला लाजपत राय के विचारों से काफी प्रेरित थे। सन् 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में अंग्रेजों की लाठियों से लाल घायल हो गए थे, जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद तो मानो भगत सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लेने की ठान ली। उन्होंने लाजपत राय के हथियारे सॉन्डर्स की हत्या की साजिश रची।दिनांक 17 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह और उनकी टोली ने सॉन्डर्स की हत्या की पूरी तैयारी की। मगर इस बीच उन्होंने एक गलत व्यक्ति जॉन सॉन्डर्स की हत्या कर दी। सॉन्डर्स की हत्या से मानो पूरे पंजाब में भूचाल मच गया, पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात होकर उन्हें खोज रही थी। इसी बीच उनकी मदद दुर्गा वोहरा ने की, जो कि एक क्रांतिकार भगवती सिंह वोहरा की पत्नी थीं। दुर्गा वोहरा ने उन्हें और भगत सिंह के साथियों को सही सलामत गुपचुप तरीके से पंजाब से बाहर निकाला। इसी दौरान उन्होंने पहचान छिपाने के लिए अपने बाल कटवा लिए थे।