India Vs Bharat: देश की विभिन्न भाषाओं के मूल में है भारत, समान रूप से अंगीकार किये गए हैं दोनों
जी 20 के आमंत्रण पत्र में प्रेसीडेंट आफ भारत लिखे होने के बाद से भारत बनाम इंडिया का विवाद छिड़ गया है। अगर संविधान को देखें तो इंडिया और भारत दोनों शब्दों को समान रूप से अंगीकार किया गया है लेकिन अगर संविधान की भाषा पर और गौर करें तो भारत को प्राथमिकता है क्योंकि शब्द है इंडिया दैट इज भारत यानी इंडिया जो कि भारत है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 11:23 PM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। India Vs Bharat Controversy: जी 20 के आमंत्रण पत्र में प्रेसीडेंट आफ भारत लिखे होने के बाद से भारत बनाम इंडिया का विवाद छिड़ गया है। कई राजनीतिक दल बिफरे हैं।
देश के नाम को लेकर बहस गर्म है। अलग-अलग तर्क दिये जा रहे हैं। विपक्षी दल इसे मुद्दा बना कर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन अगर देश की संस्कृति विशेषकर प्रादेशिक भाषाओं को देखा जाए तो उनके मूल में भारत ही बसता है।
महाराष्ट्र से लेकर असम तक और दक्षिण भारत में बोली जाने वाली कन्नड़, मलयालम, तेलगू आदि भाषाओं में अलग-अलग उच्चारण के साथ भारत के नाम से ही देश को बुलाया जाता है।
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अगर संविधान को देखें तो इंडिया और भारत दोनों शब्दों को समान रूप से अंगीकार किया गया है, लेकिन अगर संविधान की भाषा पर और गौर करें तो भारत को प्राथमिकता है, क्योंकि शब्द है इंडिया दैट इज भारत यानी इंडिया जो कि भारत है। यानी पहचान के रूप में भारत को स्थापित किया गया है।
प्रादेशिक भाषा में भारत का उच्चारण
देशभर के प्रदेशों में ज्यादातर जगह प्रादेशिक भाषा और बोलचाल में देश के नाम के लिए भारत नाम का ही प्रयोग किया जाता है। असम में बोली जाने वाली असमिया में भारत या भारतर्खो (भारतवर्ष) कहते हैं, जबकि कर्नाटक में भारथा कहा जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात में सामान्य बोलचाल में भारत, तेलगु में भारतदेशम तो मलयालम में भारतम के नाम से उच्चारित किया जाता है।
सामान्यतौर पर इन राज्यों के निवासी जब संवाद करते हैं तो देश को इन नामों से ही संबोधित करते और लिखते हैं। उत्तर भारत के हिन्दी भाषी राज्यों में तो भारत बोला ही जाता है। भारत और इंडिया के बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान के जानकार ज्ञानंत सिंह कहते हैं,
संविधान में इंडिया और भारत दोनों शब्दों को अंगीकार किया गया है ऐसे में दोनों का समान रूप से प्रयोग किया जा सकता है। अगर संविधान में संघ का नाम और राज्यक्षेत्र की दी गई परिभाषा पर गौर किया जाए तो अनुच्छेद एक कहता है कि इंडिया दैट इज भारत, शैल भी यूनियन आफ स्टेट। यानी इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का संघ होगा। भारत इंडिया का अनुवाद नहीं है। दोनों नाम हैं और सहअस्तित्व में हैं।