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Bhartiya Nyaya Sanhita: और धारदार हुआ आतंकवाद से निपटने का कानून, परिभाषा ऐसी कि शायद ही कोई आपराधी बच पाए, जानें

आईपीसी की जगह प्रस्तावित नये कानून भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आंतकवाद को परिभाषित किया गया है। प्रस्तावित कानून में मौजूदा आधुनिक तकनीकी युग और आतंक के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए आंतकवाद की बहुत ही व्यापक परिभाषा दी गई है। देश ही नहीं विदेश में भी किये गए आतंकी कृत्य को परिभाषा में शामिल किया गया है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 25 Dec 2023 09:23 PM (IST)
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और धारदार हुआ आतंकवाद से निपटने का कानून (प्रतीकात्मक तस्वीर)

माला दीक्षित, नई दिल्ली। आईपीसी की जगह प्रस्तावित नये कानून, भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आंतकवाद को परिभाषित किया गया है। प्रस्तावित कानून में मौजूदा आधुनिक तकनीकी युग और आतंक के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए आंतकवाद की बहुत ही व्यापक परिभाषा दी गई है। देश ही नहीं विदेश में भी किये गए आतंकी कृत्य को परिभाषा में शामिल किया गया है।

भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ देश को आर्थिक रूप से अस्थिर करने का प्रयास भी इसमें शामिल है। नये कानून में आतंकवाद को जिस तरह परिभाषित किया गया है उससे आतंकवाद से निपटने में और धार मिलेगी। विभिन्न अपराधों को परिभाषित करने वाले और उनके लिए सजा तय करने वाली मौजूदा आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) में आतंकवाद परिभाषित नहीं था।

धारा 113 में आतंकवाद की व्यापक परिभाषा

आतंकवाद को अलग से अपराध के तौर पर परिभाषित किये जाने और समग्रता के साथ व्यापक ढंग से उसमें आतंक के हर रूप को समाहित करने की जरूरत महसूस की जा रही थी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में आतंकवाद की व्यापक परिभाषा दी गई है जो कहती है कि जो कोई भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने या भारत या विदेश में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के इरादे से या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से कोई कार्य करता है तो वह आतंकवादी कार्य करता है।

डायनामाइट या अन्य विस्फोटक से हुई मौत में सजा

इसके अलावा (क) बम डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या आग्नेयास्त्रों या अन्य घातक हथियारों या जहरीले या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या किसी अन्य पदार्थ (चाहें जैविक, रेडियोधर्मी, परमाणु या अन्यथा) का उपयोग करके या किसी भी प्रकृति के किन्हीं अन्य साधनों का उपयोग करके ऐसा कोई कार्य करता है जिससे - (1) किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है या उन्हें क्षति होती है या होने की संभावना है तो वह आतंकवादी कार्य में आएगा।

भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचाया तो खैर नहीं

जबकि, (2) संपत्ति की हानि, क्षति या विनाश होता है या होने की संभावना है (3) भारत या विदेश में किसी समुदाय के जीवन के लिए अनिवार्य आपूर्ति या सेवाओं में विघ्न होता है या होने की संभावना है (4) जाली भारतीय कागजी मुद्रा या सिक्के के निर्माण या उसकी तस्करी या परिचालन के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाता है या नुकसान पहुंचाने की संभावना होती है तो यह आतंकवादी कार्य में आएगा।

भारत या विदेश में किसी संपत्ति को नुकसान होने पर सजा

वहीं, (5) भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या उनकी किसी एजेंसी के किन्हीं अन्य प्रयोजनों के संबंध में भारत या भारत की रक्षा के लिए उपयोग की जाने वाली या प्रयुक्त की जाने वाली भारत में या विदेश में किसी संपत्ति का नुकसान या विनाश होता है या इसकी संभावना है, या (ख) आपराधिक बल के द्वारा या आपराधिक बल का प्रदर्शन या ऐसा करने का प्रयास करके किसी लोक पदाधिकारी की मौत का कारण बनता है तो वह आतंकवादी कार्य में आएगा।

ऐसा व्यक्ति आतंकवादी कार्य करेगा

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में कहा गया है कि अगर कोई किसी लोक पदाधिकारी की मौत का प्रयास करता है या किसी व्यक्ति को निरुद्ध करता है, उसका अपहरण करता है और ऐसे व्यक्ति को मारने या चोट पहुंचाने की धमकी देता है या भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या किसी विदेशी देशी सरकार या अंतरराष्ट्रीय संगठन या अंतर - सरकारी संगठन या किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने या उससे दूर रहने को मजबूर करने के लिए कोई अन्य कार्य करता है, तो वह आतंकवादी कार्य करता है।

आतंकवाद में आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान

नये कानून में आतंकवाद की इतनी विस्तृत परिभाषा दी गई है। आतंकवाद में आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है। अगर कानून में दी गई आतंकवाद की परिभाषा को देखा जाए तो इसमें आतंकी अपराधों की श्रंखला को भी शामिल किया गया है और इसमें सार्वजनिक सुविधाओं या निजी संपत्ति को नष्ट करना एक अपराध है।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को ध्यान में रखते हुए कानून तैयार

इतना ही नहीं जिन कृत्यों से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का विनाश या उसे नुकसान होता है, वे भी उसके तहत आते हैं। इस कानून को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की उभरती वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में अक्सर साइबर हमलों के लिए संवेदनशील होते हैं।आतंकवाद से निपटने को धार देने के लिए पूरी पुख्तगी से नया कानून लाया गया है लेकिन व्यवहारिकता को देखते हुए कुछ चीजें देखनीं होंगी।

अभी गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनिमय के तहत आतंकवादी कृत्य कवर होते हैं यह कानून अभी लागू रहेगा ऐसे में ओवरलैपिंग होने की संभावना होगी। इसके अलावा देश में आतंकवादी घटनाओं और अपराधों की जांच एनआईए करती है जिसका ट्रायल विशेष अदालतों में चलता है जबकि प्रस्तावित नये कानून में ट्रायल सत्र अदालत में होगा वहां भी व्यावहारिक रूप से कुछ घालमेल हो सकता है।

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