पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष, रामायण-महाभारत जैसे ग्रंथों का किया अनुवाद; कौन थे बिबेक देबरॉय?
दिग्गज अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को निधन हो गया। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। देबरॉय को भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में प्राथमिक भूमिका निभाई थी। वह शास्त्रीय संस्कृत और प्राचीन ग्रंथों के अपने गहन ज्ञान के लिए भी जाने जाते थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक परिषद के सलाहकार बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को निधन हो गया है। वे 69 साल के थे। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स दिल्ली के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, उन्हें सूक्ष्म आंत्र रुकावट के कारण भर्ती कराया गया था।
आसान शब्दों में आंत में रुकावट का मतलब है कि कोई चीज आपकी आंत को अवरुद्ध कर रही है। इससे भोजन और मल ठीक तरह से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इसके साथ ही वह उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग से भी पीड़ित थे। उन्हें पेसमेकर लगाया गया था। वह एक अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ मशहूर लेखक भी थे।
आर्थिक नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका
देबरॉय को भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में प्राथमिक भूमिका निभाई थी। देबरॉय सितंबर 2017 से प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। उन्हें 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनके लिखे लेख कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते थे।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देबरॉय के निधन से देश ने एक प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी खो दिया है, जिसने नीति निर्माण से लेकर महान ग्रंथों के अनुवाद तक विविध क्षेत्रों को समृद्ध किया है। उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। मैं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।
पीएम मोदी ने भी जताया शोक
पीएम मोदी ने देबरॉय के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखी पोस्ट में अपना दुख जाहिर किया। पीएम मोदी ने लिखा कि डॉ बिबेक देबरॉय एक महान विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, आध्यात्मिकता और अन्य में पारंगत थे। अपने कार्यों के माध्यम से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। सार्वजनिक नीति में उनके योगदान से परे, उन्होंने हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम भी काम किया था।Dr. Bibek Debroy Ji was a towering scholar, well-versed in diverse domains like economics, history, culture, politics, spirituality and more. Through his works, he left an indelible mark on India’s intellectual landscape. Beyond his contributions to public policy, he enjoyed… pic.twitter.com/E3DETgajLr
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2024
कई ग्रंथों का किया अनुवाद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक व्यक्त किया है। बता दें कि बिबेक देबरॉय अर्थशास्त्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय संस्कृत और प्राचीन ग्रंथों के अपने गहन ज्ञान के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने पुराणों से लेकर वाल्मीकि की रामायण और महाभारत जैसे कई ग्रंथों का व्यापक अनुवाद कार्य किया। देबरॉय की रुचि संस्कृत अनुवादों से लेकर रेलवे सुधार और यहां तक कि भारतीय जीवन में कुत्तों की सांस्कृतिक भूमिका जैसे विशिष्ट विषयों तक फैली हुई थी।