बिहार जाति जनगणना मामलाः केस सुने बगैर नहीं देंगे कोई अंतरिम रोक आदेश, SC ने केंद्र से सात दिन में मांगा जवाब
बिहार जाति जनगणना के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि वह मामले में सुनवाई किए बगैर किसी तरह का कोई अंतरिम आदेश जारी नही करेगा। कोर्ट ने कहा केस को सुनेंगे और तभी कोई आदेश देंगे टुकड़ों में आदेश नहीं देंगे। इस मामले को 28 अगस्त को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Mon, 21 Aug 2023 10:04 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार जाति जनगणना के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि वह मामले में सुनवाई किए बगैर किसी तरह का कोई अंतरिम आदेश जारी नही करेगा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा बिहार जाति गणना के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश मांगे जाने पर कहा कि वह कोई रोक आदेश नहीं देंगे जबतक कि वे सुनवाई करके मामले को लेकर प्रथमदृष्टया संतुष्ट नहीं होते।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से एक सप्ताह में मांगा जवाब
कोर्ट ने कहा केस को सुनेंगे और तभी कोई आदेश देंगे टुकड़ों में आदेश नहीं देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार की पक्ष रखने की मांग स्वीकार करते हुए उसे जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय देते हुए मामले को 28 अगस्त को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।पटना हाई कोर्ट ने याचिका की थी खारिज
पटना हाई कोर्ट ने गत एक अगस्त को बिहार में जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी थीं और जाति आधारित गणना को हरी झंडी दे दी थी। हाई कोर्ट के इस आदेश को गैर सरकारी संगठन यूथ फार इक्वेलिटी व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है।
पिछली सुनवाई पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पहले केस सुनेगा और प्रथम दृष्टया संतुष्ट होने के बाद ही कोई अंतरिम आदेश जारी करेगा। पिछले सप्ताह हुई सुनवाई में गैर सरकारी संगठन की ओर से पक्ष रखा गया था।
हम टुकड़ों में कोई आदेश नहीं देंगेः सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस मामले में किसी की ओर नहीं हैं, लेकिन मामले के परिणाम हो सकते हैं इसलिए वह पक्ष रखना चाहेंगे जवाब दाखिल करना चाहेंगे। तभी एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर सुनवाई स्थगित होती है, तो कोर्ट डाटा प्रकाशित करने पर रोक लगा दे।
कोर्ट ने कहा कि हम टुकड़ों में कोई आदेश नहीं देंगे। हाई कोर्ट का मामले में फैसला आ चुका है। पीठ ने कहा कि इस मामले में दो चीजें है एक तो डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया जो कि पूरी हो चुकी है और दूसरी सर्वे के दौरान एकत्र किये गए डाटा का विश्लेषण जो ज्यादा कठिन और दिक्कत वाला है।इस पर रोहतगी ने कहा कि तो फिर कोर्ट फिलहाल यथास्थिति कायम रखने का आदेश दे दे, लेकिन पीठ ने इससे इनकार करते हुए कहा कि जब तक कि आप हमें इस मामले में बहस करके प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं कर देते, तबतक किसी तरह का कोई रोक आदेश जारी नहीं करेंगे।