Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Hindi Language: 'हमारा देश हिंदुस्तान है तो हम सबको हिंदी की समझ होनी चाहिए', सीएम नीतीश ने दी द्रमुक नेता को नसीहत

Nitish Kumar On Hindi Language राष्ट्रभाषा के प्रबल समर्थक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आइएनडीआइए की बैठक में भी हिंदी का पक्ष लिया और अपने संबोधन को अंग्रेजी में अनुवाद करने से मना कर दिया। साथ ही सीएम नीतीश ने दक्षिण भारत के नेताओं को नसीहत दी कि हमारा देश हिंदुस्तान है तो हम सबको हिंदी की जानकारी भी होनी चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 20 Dec 2023 07:43 PM (IST)
Hero Image
हिंदुस्तान के हर निवासी को हिंदी की समझ होनी चाहिए- सीएम नीतीश (फोटो, एक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रभाषा के प्रबल समर्थक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आइएनडीआइए की बैठक में भी हिंदी का पक्ष लिया और अपने संबोधन को अंग्रेजी में अनुवाद करने से मना कर दिया। साथ ही सीएम नीतीश ने दक्षिण भारत के नेताओं को नसीहत दी कि हमारा देश हिंदुस्तान है तो हम सबको हिंदी की जानकारी भी होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आपत्ति के बाद उनके भाषण का अनुवाद नहीं किया जा सका। बात मंगलवार की उस वक्त की है, जब दिल्ली में संयुक्त विपक्ष की बैठक हो रही थी। अपनी बारी के दौरान नीतीश कुमार ने हिंदी में बोलना शुरू किया तो द्रमुक नेता टीआर बालू ने राजद नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा से अंग्रेजी में अनुवाद का आग्रह किया। इस पर मनोज ने संबोधन के बीच में ही नीतीश से इजाजत मांगी।

हिंदुस्तान के हर निवासी को हिंदी की समझ होनी चाहिए- सीएम

बैठक में शामिल सूत्रों का कहना है कि मनोज झा के इस आग्रह पर नीतीश ने सख्त आपत्ति जताई और कहा कि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा एवं आमजन की भाषा है। इसलिए हिंदुस्तान के प्रत्येक निवासी को हिंदी की जानकारी और समझ होनी चाहिए।

सरल हिंदी में अपनी बात रख रहा हूं- नीतीश

उन्होंने ब्रिटिशकाल और आजादी की लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भी हिंदी की उपेक्षा कर आम लोगों पर अंग्रेजी थोपने का प्रयास किया जाता था, किंतु हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका विरोध किया था। नीतीश ने कहा कि वह सरल हिंदी में अपनी बात रख रहे हैं। फिर भी कुछ लोगों को समझने में दिक्कत हो रही है।

नीतीश कुमार हिंदी के प्रबल पक्षधर

उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार हिंदी के प्रबल पक्षधर हैं। बिहार में भी कई कार्यक्रमों में उन्होंने अंग्रेजी बोलने वाले अधिकारियों को टोका है और उन्हें हिंदी में बोलने का निर्देश दिया है। बैठक में मौजूद नेताओं ने हस्तक्षेप किया और कहा कि आपसी बातचीत में हमें भाषा संबंधी विवाद को नहीं आने देना चाहिए।

ये भी पढ़ें: 'पीएम मोदी ने दूरदराज के गांवों में संचार सेवाएं देने को प्राथमिकता दी', दूरसंचार विधेयक पर बहस के जवाब में बोले- अश्विनी वैष्णव