मैली Ganga को स्वच्छ करने के लिए कुछ नहीं कर रहे ये तीन राज्य, NGT ने लगाई फटकार
खंडपीठ ने कहा कि हम इन तीनों राज्यों को 25-25 लाख रुपये बतौर जुर्माना भरने का आदेश देते हैं। यह अंतरिम मुआवजा गंगा की लगातार हो रही दुर्गति के कारण देना है।
By Nitin AroraEdited By: Updated: Fri, 31 May 2019 06:32 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जीवनदायिनी गंगा नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए कोई भी कदम न उठाने पर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों को फटकार लगाई है। साथ ही एनजीटी ने इन तीनों राज्यों पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंका है।
एनजीटी ने कहा है कि गंगा की सफाई के लिए बिहार में कोई काम नहीं हुआ है। वहां पर एक भी सीवेज प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसी तरह पश्चिम बंगाल ने 22 में से केवल तीन परियोजनाओं पर काम किया है। एनजीटी की खंडपीठ का कहना है कि पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड ने ट्रिब्यूनल के आदेश के बावजूद अपना प्रतिनिधित्व देना जरूरी नहीं समझा। हम राज्यों के ऐसे रवैये को नामंजूर करते हैं। इतने गंभीर मामले में ऐसी असंवेदनशीलता निश्चित रूप से चिंता का विषय है।खंडपीठ ने कहा कि हम इन तीनों राज्यों को 25-25 लाख रुपये बतौर जुर्माना भरने का आदेश देते हैं। यह अंतरिम मुआवजा गंगा की लगातार हो रही दुर्गति के कारण देना है। सीपीसीबी को यह रकम मिलने पर इसका इस्तेमाल पर्यावरण को बहाल करने के लिए किया जाएगा।
एनजीटी ने यह भी कहा कि अपशिष्ट का नदी में गिरना एक आपराधिक कृत्य है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को आंशिक रूप से अनुमति देने के बजाय हर तक के औद्योगिक प्रदूषण को बंद करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि वह सीपीसीबी को धन मुहैया करा रही है ताकि उत्तर प्रदेश सरकार कानपुर देहात, खानपुर और राखी मंडी के क्रोमियम डंप का शोधन किया जा सके। एनएमसीजी की ओर से नरोरा ब्रिज पर पर्याप्त ई-फ्लो भी सुनिश्चित करना है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड की ही तर्ज पर युद्धस्तर पर अतिक्रमण हटाकर डूब क्षेत्र को खाली कराना होगा।ट्रिब्यूनल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निजी तौर पर इस मामले की निगरानी करनी होगी और गंगा में प्रदूषण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाना होगा। साथ ही एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से सात अगस्त से पहले हलफनामा दायर करने को कहा।
एनजीटी ने उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा है कि गोमुख से ऋषिकेश के बीच फेकल कोलीफॉर्म का स्तर तय पैमाने से ऊपर तो नहीं है। साथ ही अगली सुनवाई पर इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप