आनंद मोहन की रिहाई पर SC में 8 मई को होगी सुनवाई, पूर्व IAS की पत्नी बोलीं- मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है
पूर्व आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बिहार के राजनेता आनंद मोहन की जेल से समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करना अच्छा संकेत है।
''न्यायपालिका मामले के साथ न्याय करेगी"
#WATCH | "It's a very good sign. I've confidence in the judiciary and they will do justice to this case," says Uma Devi, wife of former IAS officer G Krishnaiah on Supreme Court to hear her plea challenging the premature release of Bihar politician Anand Mohan from prison
— ANI (@ANI) May 2, 2023
आनंद मोहन को 27 अप्रैल को जेल से किया गया रिहा
बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा किया गया। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जिलाधिकारी की पत्नी उमा ने उसकी रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर अब आठ मई को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की पीठ सुनवाई करेगी।
महज 14 साल में नहीं की जा सकती उम्रकैद की व्याख्या
जी. कृष्णैया की पत्नी ने अपनी याचिका में दलील दी है कि आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उसके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती।उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि जब मृत्युदंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है। इसमें कटौती नहीं की जा सकती।
आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरुआत में एक अधिसूचना जारी की थी, क्योंकि वह जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं। बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद आनंद मोहन की सजा घटा दी गई।