'आप चुनाव आयोग की पावर को चुनौती दे रहे हैं'? SC के सवाल पर सिब्बल बोले- तर्क बिल्कुल यही और समय बहुत कम, आप...
सुप्रीम कोर्ट में बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं। जस्टिस सूर्यकांत ने सिब्बल से चुनाव आयोग की एसआईआर करने की शक्ति पर सवाल किया। सिब्बल ने जनवरी 2023 के संशोधन के बाद नए एसआईआर की जरूरत पर सवाल उठाए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने उनसे पूछा कि क्या वह एसआईआर करने की चुनाव आयोग की पावर को चुनौती दे रहे हैं? अगर ऐसी कोई पावर मौजूद नहीं है तो फिर बहस करने के लिए और कुछ नहीं है।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने जनवरी 2023 के संशोधन के बाद नए एसआईआर की जरूरत पर सवाल उठाए और कहा कि जब बिहार में आखिरी गहन संशोधन किया गया था तो नागरिकता साबित करने के लिए किसी भी सहायक दस्तावेज के बिना केवल गणना फॉर्म भरने की जरूरत क्यों? इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि अगर जनवरी 2023 में ही संशोधन किया जा चुका था तो अब विशेष गहन संशोधन की जरूरत क्यों?
सिब्बल ने क्या दिया जवाब?
इस पर सिब्बल जवाब देते हैं कि याचिकाकर्ताओं का तर्क बिल्कुल यही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर इस प्रक्रिया के दौरान किसी का नाम मतदाता सूची से बाहर हो जाता है, तो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में उसका नाम बहाल करने के लिए बहुत कम समय होगा।
'नागरिकता प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा आधार'
जस्टिस कांत ने टिप्पणी की कि आवश्यक दस्तावेज किसी व्यक्ति को राज्य का वास्तविक निवासी साबित करते हैं और एक बार ये दस्तावेज दिखा दिए जाने के बाद, यह दायित्व चुनाव आयोग पर आ जाता है। इस पर सिब्बल ने कहा कि बिहार में अधिकांश लोगों के पास आधार कार्ड होने के बावजूद, बूथ स्तर के अधिकारी इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
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