Bilkis Bano case: बिलकिस बानो केस में उम्रकैद काट रहे सभी 11 कैदी रिहा, गुजरात सरकार ने माफी योजना के तहत दी रिहाई
Bilkis Bano Case बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सभी ग्यारह दोषियों को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया है। इनकी रिहाई गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत हुई है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 12:36 AM (IST)
गोधरा, एजेंसी। गुजरात दंगे के दौरान वर्ष 2002 में हुए बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 कैदियों को स्वतंत्रता दिवस पर जेल से रिहा कर दिया गया। सभी दोषी गोधरा की उपजेल में बंद थे। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक दोषियों को गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहा किया गया है। मुंबई में सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक दुष्कर्म और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
बाद में बंबई हाईकोर्ट ने सभी दोषियों की सजा को बरकरार रखा। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।पंचमहल के आयुक्त सुजल मायत्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को उसकी सजा पर क्षमा पर गौर करने का निर्देश दिया। इसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया। मायत्रा ही समिति के प्रमुख थे। उन्होंने कहा, 'कुछ माह पहले गठित समिति ने सर्वसम्मति से मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय किया।'
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और रविवार को ही उनकी रिहाई के आदेश मिले। जिन 11 दोषियों को समय पूर्व रिहा किया गया उनके नाम जयंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेश भट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट और रमेश चंदना हैं। राधेश्याम शाह ने ही सजा के 15 साल और चार महीने होने पर एक अप्रैल, 2022 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
गोधरा कांड के बाद गुजरात में तीन मार्च, 2002 को हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिलकिस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। परिवार के छह अन्य सदस्य फरार होकर जान बचाने में कामयाब रहे थे। मामले के आरोपितों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।