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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो मामले में फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची गुजरात सरकार, पुनर्विचार याचिका दायर कर लगाई यह गुहार

बिलकिस बानो के दोषियों को वापस जेल भेजने के मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राज्य सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले से गुजरात सरकार के विरुद्ध की गई कड़ी टिप्पणियों को हटाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश देते हुए गुजरात सरकार के आदेश को रद कर दिया था।

By Agency Edited By: Mohd Faisal Updated: Wed, 14 Feb 2024 04:15 AM (IST)
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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो मामले में फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची गुजरात सरकार, पुनर्विचार याचिका दायर लगाई यह गुहार

पीटीआई, नई दिल्ली। बिलकिस बानो के दोषियों को वापस जेल भेजने के मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राज्य सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले से गुजरात सरकार के विरुद्ध की गई कड़ी टिप्पणियों को हटाने की मांग की है।

गुजरात सरकार फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी को 11 दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश देते हुए गुजरात सरकार के समय से पहले रिहाई के आदेश को रद कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा मिलकर काम करने और आरोपितों के साथ मिलीभगत जैसी टिप्पणियां बहुत ही अनुचित हैं। कोर्ट द्वारा की गई इन टिप्पणियों से राज्य सरकार की छवि को काफी नुकसान हुआ है। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर कार्रवाई की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था जेल भेजने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने ही 2022 में गुजरात सरकार से छूट पर निर्णय लेने को कहा था। 2022 के फैसले के कारण ही 1992 के छूट नियमों को लागू किया गया था। राज्य सरकार ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी कि गुजरात राज्य ने प्रतिवादी नंबर-तीन के साथ मिलकर काम किया पूरी तरह से अनुचित है।

आठ जनवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को दी गई छूट को रद कर दिया था और आदेश दिया था कि उन्हें दो सप्ताह के भीतर वापस जेल भेजा जाए।

क्या है मामला?

2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय बिलकिस बानो 21 साल की थीं। वह गर्भवती भी थीं। इस दौरान कुछ लोगों ने उनके साथ दुष्कर्म कर परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी। इस मामले के सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था।

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