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बिलकिस मामले के दो दोषियों ने SC का दरवाजा खटखटाया, संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बताया सजा में छूट रद करने का फैसला

बिलकिस बानो मामले के 11 में से दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दलील दी है कि उनकी सजा में छूट देने को रद करने संबंधी आठ जनवरी का फैसला 2002 की एक संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ था। उन्होंने इस मुद्दे को अंतिम निर्णय के लिए एक वृहद पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया।

By Agency Edited By: Mohd Faisal Updated: Sun, 03 Mar 2024 04:15 AM (IST)
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बिलकिस मामले के दो दोषियों ने SC का दरवाजा खटखटाया (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले के 11 में से दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दलील दी है कि उनकी सजा में छूट देने को रद करने संबंधी आठ जनवरी का फैसला 2002 की एक संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ था। उन्होंने इस मुद्दे को अंतिम निर्णय के लिए एक वृहद पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया।

जेल में बंद राधेश्याम और राजूभाई ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गोधरा उप-कारागार में बंद राधेश्याम भगवानदास शाह और राजूभाई बाबूलाल सोनी ने कहा कि विसंगतिपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। समान क्षमता वाली दो अलग-अलग पीठों ने समय पूर्व रिहाई और छूट के लिए याचिकाकर्ताओं की अर्जी पर राज्य सरकार की कौन सी नीति लागू होगी, इस पर बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है।

वकील ऋषि मल्होत्रा ने दायर की याचिका

वकील ऋषि मल्होत्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि एक पीठ ने 13 मई, 2022 को गुजरात सरकार को स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि वह राज्य सरकार की नौ जुलाई, 1992 की छूट नीति के तहत समय पूर्व रिहाई के लिए राधेश्याम शाह के आवेदन पर विचार करे। दूसरी तरफ आठ जनवरी, 2024 को फैसला सुनाने वाली पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि वह महाराष्ट्र सरकार है, न कि गुजरात सरकार जो छूट देने में सक्षम है।

राज्य सरकार के फैसले को किया था रद

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद कर दिया था। शाह ने जमानत के लिए भी अर्जी दाखिल की है।

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