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17वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही महिलाओं को लेकर लाया गया ये विधेयक समाप्त, पढ़ें क्या था इसका उद्देश्य?

लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। अब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। इसके साथ ही 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कार्यकाल खत्म होने के साथ ही पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की उम्र में समानता लाने वाला विधेयक भी समाप्त हो गया।

By Admin JagranEdited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sat, 08 Jun 2024 01:37 PM (IST)
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महिलाओं को लेकर लाया गया विधेयक समाप्त ( file photo)
पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। अब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। इसके साथ ही 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कार्यकाल खत्म होने के साथ ही पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की उम्र में समानता लाने वाला विधेयक भी समाप्त हो गया।

2021 में पेश हुआ था विधेयक

ये विधेयक दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद इस विधायक को शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवाओं और खेल से संबंधित स्थायी समिति को भेजा गया था।

कानून और संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए, पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पी डी टी आचार्य ने बताया कि 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद, 'बिल अब समाप्त हो गया है।'इस विधेयक का उद्देश्य महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 साल करने के साथ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में संशोधन करना है। इसके अलावा, विधेयक किसी भी अन्य कानून,प्रथा को खत्म कर देगा।

क्या कहता है 2006 का अधिनियम?

2006 अधिनियम के तहत, न्यूनतम आयु से कम आयु में शादी करने वाला व्यक्ति एडल्ट होने के दो साल के अंदर (यानी, 20 वर्ष की आयु से पहले) विवाह रद्द करने के लिए आवेदन कर सकता है। बता दें कि इससे पहले भी समिति को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए विस्तार दिया गया था। सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने विधेयक की जांच करने और अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए पैनल को 24 जनवरी, 2024 तक तीन महीने का और अधिक समय दिया था।

बता दें कि आम चुनाव में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के निर्वाचित होने के बाद 17वीं लोकसभा भंग कर दी गई। अब कल नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं मोदी के साथ NDA के 14 सहयोगी दलों के 18 सांसद भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

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