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पूरे फ्रांस के बराबर उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं दुनिया के 125 अरबपति, पढ़ें आक्सफैम की ये रिपोर्ट

Carbon Emission आक्सफैम का कहना है कि अमीरों पर टैक्स लगाकर मिला पैसा जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में बहुत सहायक हो सकता है। टैक्स लगाने से अमीर ऐसे निवेश से दूर भी होंगे जो पर्यावरण के लिए सही होगा।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Tue, 08 Nov 2022 10:11 AM (IST)
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6.7 करोड़ की जनसंख्या वाले फ्रांस का सालाना कार्बन उत्सर्जन लगभग इतना ही है
नई दिल्ली, पीटीआइ। दुनिया के 125 सबसे अमीर लोग पैसे के मामले में ही नहीं, कार्बन उत्सर्जन के मामले में भी सबसे आगे हैं। जिन कंपनियों में इनका निवेश है, अगर उनका आकलन करें, तो इन अमीरों के निवेश से होने वाला औसत उत्सर्जन सामान्य व्यक्ति के औसत से 10 लाख गुना है। आक्सफैम ने ‘कार्बन बिलियनायर: द इन्वेस्टमेंट इमीशन आफ द वर्ल्ड्स रिचेस्ट पीपुल’ में दुनिया के सर्वाधिक अमीर लोगों के निवेश से होने वाले उत्सर्जन का आकलन किया है।

अमीरों पर नहीं होती पर्याप्त चर्चा

1.6 अरब हेक्टेयर नए वनों की आवश्यकता होगी, यदि सिर्फ पेड़ लगाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने का प्रयास किया जाए। भारत के क्षेत्रफल का पांच गुना है आक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियां बनाते समय दुनिया में हो रहे कुल उत्सर्जन में अमीरों की भूमिका पर बहुत कम ही चर्चा होती है। इसे बदलना होगा। इन अरबपतियों ने ऐसी कंपनियों में निवेश किया हुआ है, जो बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन की जिम्मेदार हैं। ये लोग लंबे समय से जिम्मेदारी से बचते रहे हैं। 2021 में आक्सफैम की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सिर्फ पेड़ लगाकर कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटना संभव नहीं है।

उत्सर्जन बढ़ाने वाले निवेश पर लगे टैक्स

आक्सफैम इंटरनेशनल के जलवायु परिवर्तन प्रमुख नेफकोट डाबी ने कहा, ‘इन अमीरों को छिपे रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सरकारों को इन अमीरों के निवेश से होने वाले उत्सर्जन के आंकड़े छापने चाहिए और निवेशकों एवं कंपनियों पर कार्बन उत्सर्जन कम करने का नीतिगत दबाव बनाना चाहिए। प्रदूषण का कारण बनने वाले इनके निवेश पर टैक्स लगाया जाना चाहिए।’ आक्सफैम का कहना है कि अमीरों पर टैक्स लगाकर मिला पैसा जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में बहुत सहायक हो सकता है। टैक्स लगाने से अमीर ऐसे निवेश से दूर भी होंगे, जो पर्यावरण के लिए सही होगा। 40 लाख लोग वीगन बनेंगे, तब एक अरबपति के उत्सर्जन की भरपाई होगी। वीगन ऐसे शाकाहारी होते हैं, जो पशुओं से मिलने वाले उत्पाद जैसे दूध व शहद आदि भी नहीं खाते।