CDS General Bipin Rawat बिपिन रावत
CDS General Bipin Rawat Biography जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी थे। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे जिन्होंने कई अहम मौकों पर देश का सर गर्व से ऊंचा किया। आइए बिपिन रावत के बारे में सब कुछ जानें।
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Wed, 15 Mar 2023 10:06 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के जांबाज अधिकारी और देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) थे। भारत सरकार द्वारा 2019 में पहली बार सीडीएस के पद की घोषणा की गई और उस समय के सेना प्रमुख बिपिन रावत को ही इसके लिए सबसे उपयुक्त माना गया। जनरल रावत की 8 दिसंबर 2021 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। आइए, सैनिक के रूप में भारत की सेवा करने वाले बिपिन रावत के बारे में जानें।
बिपिन रावत का जन्म कहां हुआ
बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले (पहले के उत्तर प्रदेश राज्य) में 16 मार्च 1958 को राजपूत परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम बिपिन लक्ष्मण सिहं रावत था। उनका पूरा परिवार कई दशकों से देश को सैन्य सेवाएं दे रहा था और उनके पिता भी लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे। बिपिन रावत की मां उत्तरकाशी जिले से थीं और उनके पिता पूर्व विधायक किशन सिंह परमार थे।
बिपिन रावत ने कहां से की पढ़ाई
- बिपिन रावत ने अपने बचपन की पढ़ाई देहरादून स्थित कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से की।
- रावत इसके बाद खडकवासला के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो गए और फिर देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी से प्रथम श्रेणी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- बिपिन रावत ने इसके बाद 1997 में वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) से स्नातक और अमेरिका के फोर्ट लीवनवर्थ, कंसास में यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड एंड जनरल स्टाफ कॉलेज (USACGSC) से हायर कमांड कोर्स किया।
- रावत ने फिर मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एमफिल डिग्री के साथ-साथ प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा प्राप्त किया।
- 2011 में सैन्य-मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए उन्हें मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
सेना में करियर की शुरुआत
बिपिन रावत ने 16 दिसंबर 1978 को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन से अपने सैन्य करियर की शुरुआत की। इसके बाद जनवरी 1979 में उनकी पहली पोस्टिंग मिजोरम में हुई। नेफा इलाके में जब रावत की तैनाती हुई तो उन्होंने बटालियन की अगुवाई भी की। रावत ने कांगो में यूएन की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की। 1987 में अरुणाचल प्रदेश स्थित सुमदोरोंग चू घाटी में हुई भारत-चीन झड़प के दौरान भी चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को हराने के लिए तत्कालीन कैप्टन रावत की बटालियन को तैनात किया गया था। चीन के साथ यह गतिरोध 1962 में हुए युद्ध के बाद विवादित मैकमोहन बॉर्डर लाइन पर पहला सैन्य टकराव था।ऊंचाई पर जंग लड़ने और इन चीजों में थे एक्सपर्ट
सेना में 43 साल के अपने सेवाकाल के दौरान जनरल रावत का नाम सबसे ज्यादा इसलिए भी चर्चित था क्योंकि वो कई चीजों के एक्सपर्ट थे। रावत ऊंचाई वाले इलाकों पर युद्ध लड़ने में माहिर थे, इसी के साथ वे काउंटर ऑपरेशन और कश्मीर मामले के भी एक्सपर्ट माने जाते थे। चीन की सीमाओं और एलओसी पर कैसे सैन्य कार्रवाई की जाए इसकी समझ भी उनमें काफी थी, इसी कारण वो इन इलाकों में सबसे ज्यादा तैनात भी रहे।
बिपिन रावत की बड़ी सफलताएं
बिपिन रावत ने कई बड़े अभियानों पर बड़ी सफलता पाई थी। रावत 2020 से 2021 में अपनी मृत्यु तक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) रहे थे। रावत ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस-बॉर्डर अभियान चलाकर कई आतंकियों को ढेर करने के पीछे भी जनरल रावत थे। सेना ने उस दौरान म्यांमार में नागा आतंकी संगठन एनएससीएन (के) आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था। रावत पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के भी योजनाकार बताए जाते हैं।जनरल रावत के ये बयान रहे चर्चा में...
बिपिन रावत के सेना में रहते हुए कई बयान खासे चर्चा में रहे। कश्मीर से धारा 370 हटाने और सीएए पर उनके बयान काफी चर्चा में रहे थे। साल 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नागरिकता रजिस्टर को लेकर रावत के बयान का काफी विरोध हुआ था। सीएए और एनआरसी का देश के कई राज्यों में हुए हिंसक विरोध के बाद रावत ने कहा था कि मैंने देखा कि कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के छात्र उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं जो आगजनी कर रही है। यह नेतृत्व कोई अच्छा नेता नहीं कर सकता क्योंकि असली नेता वही जो सभी को सही रास्ते पर लेकर चले। उनके इस बयान का कई लोगों ने विरोध किया था।
इसके बाद रावत ने अपने बयान पर सफाई भी दी और कहा कि सेना हमेशा राजनीति से दूर रहती है और सरकार के आदेश के तहत ही काम करती है। कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन पर 2018 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर भी रावत ने कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत में किसी को भी इस रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, ये सिर्फ दुर्भावना से प्रेरित है। सेना का मानवाधिकार को लेकर रिकॉर्ड हमेशा अच्छा रहा है।
जवानों का कई बार किया बचाव
कश्मीर में जवान द्वारा एक व्यक्ति को जीप से बांधकर घुमाने का वीडियो सभी ने देखा होगा। वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था। सेनाधिकारी लितुल गोगोई की तस्वीरें सामने आने पर रावत ने उनका बचाव कर प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया था। BSF के जवान तेज बहादुर द्वारा सोशल मीडिया पर सैनिकों को खराब खाना देने की बात करने पर भी रावत का बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि जवानों को अगर कोई शिकायत हो तो उन्हें मुझसे बात करनी चाहिए न की सोशल मीडिया पर कुछ डालना चाहिए।वायुसेना को कहा था 'सहायक शाखा'
रावत ने एक सम्मेलन में वायुसेना को सशस्त्र बलों की सहायक शाखा बताया था। उन्होंने इसकी तुलना इंजीनियरों और तोपखाने से की थी। रावत के इस बयान के बाद तत्कालीन वायु सेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल आरके एस भदौरिया ने कहा था कि वायुसेना कोई सहायक नहीं किसी भी युद्ध में उसकी बेहद अहम भूमिका होती है।