Biporjoy Cyclone: तेजी से गंभीर तूफान में बदल रहा बिपारजॉय साइक्लोन, जानें कहां-कहां होगा इसका और IMD का अलर्ट
चक्रवाती तूफान ‘बिपारजॉय’ काफी तेजी से गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। इस चक्रवाती तूफान बिपारजॉय के कारण केरल में मानसून के शुरु होने की स्पीड थोड़ी धीमी हो सकती है। अरब सागर में आया ये तूफान इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है।
Very Severe Cyclonic Storm #Biparjoy over eastcentral Arabian Sea, lay centered at 5:30 am IST of 08thJune, about 860km west-southwest of Goa, 910km southwest of Mumbai. It would intensify further & move north-northwestwards: India Meteorological Department (IMD) pic.twitter.com/TGNetWiM4m
— ANI (@ANI) June 8, 2023
चक्रवाती तूफान में बदला बिपारजॉय
वहीं, IMD ने एक ट्वीट में कहा कि गंभीर चक्रवाती तूफान बिपारजॉय (cyclone biparjoy tracker) पूर्व-मध्य और आस-पास के दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर पिछले 6 घंटों के दौरान 5 किमी प्रति घंटे की गति के साथ लगभग उत्तर की ओर बढ़ा है और एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया है।VSCS BIPARJOY over the east-central Arabian Sea, lay centred at 2330hrs IST of 07 Jun 2023 near lat 13.6N & long 66.0E, about 870km west-southwest of Goa, 930km SW of Mumbai. It would intensify further gradually during the next 48hrs & move nearly north-northwestwards during the… pic.twitter.com/6H4b6Ge8yg
— ANI (@ANI) June 8, 2023
चक्रवाती तूफानों की संख्या में हो रही वृद्धि
एक अध्ययन के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफानों (cyclone biporjoy status) की तीव्रता मानसून के बाद के मौसम में करीब 20 प्रतिशत और मानसून से पहले की अवधि में 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की संख्या में 52 प्रतिशत वृद्धि हुई है, वहीं बहुत गंभीर चक्रवाती तूफानों में 150 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है।क्या ‘बिपारजॉय’ के कारण मानसून में हो सकती है देरी?
दक्षिण पश्चिमी मानसून सामान्य तौर पर 1 जून को केरल (monsoon status kerala) में आ जाता है। इसमें करीब 7 दिन कम या ज्यादा हो सकते हैं। IMD ने मई के मध्य में कहा था कि मानसून 4 जून तक केरल पहुंच सकता है। स्काईमेट ने पहले मानसून के 7 जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान लगाया था और कहा था कि यह 3 दिन पहले या बाद में वहां पहुंच सकता है। पिछले करीब 150 साल में केरल में मानसून आने की तारीख में व्यापक बदलाव देखा गया है। वहीं, IMD के आंकड़ों के अनुसार 11 मई, 1918 को यह सामान्य तारीख से सबसे अधिक दिन पहले आया था और 18 जून, 1972 को इसमें सर्वाधिक देरी हुई थी। दक्षिण-पूर्वी मानसून ने पिछले साल 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल में दस्तक दी थी। अनुसंधान दिखाते हैं कि केरल में मानसून के देरी से आने से यह जरूरी नहीं है कि उत्तर पश्चिमी भारत में भी मानसून देरी से ही आएगा। हालांकि, केरल में मानसून की देर से दस्तक को दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मानसून आने में देरी से जोड़ा जा सकता है।‘बिपारजॉय’ क्यों रखा गया चक्रवात का नाम?
बता दें कि बांग्लादेश ने इस तूफान को ‘बिपारजॉय’ (biporjoy meaning in english) नाम दिया है। इसका अर्थ है ‘विपत्ति’ या ‘आपदा’ (biporjoy disaster)। कथित तौर पर, इस नाम को 2020 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) देशों द्वारा अपनाया गया था। इसमें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बनने वाले सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी शामिल हैं, क्योंकि क्षेत्रीय नियमों के आधार पर चक्रवातों का नाम रखा जाता है। WMO और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) के सदस्य देशों में चक्रवात के नामकरण की प्रणाली है। WMO के अनुसार, अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्ध (हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत) में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को वर्णानुक्रम में नाम मिलते हैं और महिलाओं और पुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं, जबकि उत्तरी हिंद महासागर के देशों में चक्रवात के नामों को वर्णानुक्रम में सूचीबद्ध किया जाता है और ये लिंग-तटस्थ होते हैं।अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित, दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को सैफिर-सिम्पसन तूफान पवन पैमाने द्वारा मापा जाता है, जो 1971 में हर्बर्ट सैफिर, एक सिविल इंजीनियर और यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर के बॉब सिम्पसन के साथ उत्पन्न हुआ था।
ट्रॉपिकल डिप्रेशन: एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात जिसमें अधिकतम 38 मील प्रति घंटे या उससे कम की निरंतर हवाएँ चलती हैं। उष्णकटिबंधीय तूफान: 39-73 मील प्रति घंटे की अधिकतम निरंतर हवाओं वाला एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात। हरिकेन: एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात जिसमें अधिकतम हवाएं 74 मील प्रति घंटे से अधिक होती हैं।
चार राज्य - आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और एक केंद्र शासित प्रदेश - पूर्वी तट पर पांडिचेरी चक्रवात आपदाओं के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं। हालांकि चक्रवात भारत के पूरे तट को प्रभावित करते हैं, पश्चिमी तट की तुलना में पूर्वी तट अधिक प्रवण होते है।