बिरसा मुंडा के पोते सुखराम दिल्ली हाट में करेंगे आदि महोत्सव का उद्धाटन
जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में मंगलवार से आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आदि महोत्सव 16 से 30 नवंबर तक दिल्ली हाट में चलेगा।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Tue, 16 Nov 2021 04:18 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत आने वाले जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में मंगलवार से आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आदि महोत्सव 16 से 30 नवंबर तक दिल्ली हाट में चलेगा। बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा मंगलवार को शाम 6.30 बजे महोत्सव का उद्धाटन करेंगे। जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह, जनजातीय कार्य राज्य मंत्री बिस्वेश्वर टुडू और ट्राइफेड के अध्यक्ष रामसिंह राठवा उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे।
- Arjun Munda (@arjunmunda) 16 Nov 2021
जनजातीय संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य की भावना का उत्सव 'आदि महोत्सव' एक सफल वार्षिक पहल है, जिसे 2017 में शुरू किया गया था। यह त्योहार देश भर में आदिवासी समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति से लोगों को एक ही स्थान पर परिचित कराने का एक प्रयास है। ट्राइफेड की ओर से माइक्रोब्लालिंग एप कू पर पोस्ट कर कहा गया कि हमें खुशी है कि कू ऐप आदि महोत्सव के लिए हमारा सोशल मीडिया पार्टनर है जो 16 से 30 नवंबर 2021 तक आयोजित किया जा रहा है।
- TRIFED (@trifed) 16 Nov 2021
दिल्ली हाट में फरवरी 2021 में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में आदिवासी कला तथा शिल्प, औषधि तथा उपचार, व्यंजन और लोक मंचन का प्रदर्शन और बिक्री शामिल थे, जिसमें देश के 20 से अधिक राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगरों, कलाकारों और रसोइयों ने भाग लिया और अपनी समृद्ध पारंपरिक संस्कृति की एक झलक प्रस्तुत की।
नवंबर के आयोजन में भी देश भर में हमारी जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को दर्शाया जाएगा, जो उनकी कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उत्पाद तथा स्वादिष्ट व्यंजनों में देखा जाता है। उम्मीद है कि 200 से अधिक स्टालों के माध्यम से एक बार फिर 15 दिवसीय उत्सव में 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग लेंगे।
प्राकृतिक सादगी की विशेषता, आदिवासी लोगों की कृतियों की कालातीत अपील है। हस्तशिल्प की विस्तृत श्रृंखला जिसमें हाथ से बुने हुए सूती, रेशमी कपड़े, ऊन, धातु शिल्प, टेराकोटा, मनका-कार्य शामिल हैं तथा इन सभी को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने की आवश्यकता है।