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'संविधान हत्या दिवस' पर सियासी घमासान, भाजपा ने अखिलेश से पूछा- क्या मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे?

Samvidhaan Hatya Diwas संविधान हत्या दिवस पर सियासत गरमा चुकी है। विपक्ष ने जहां इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा तो वहीं भाजपा ने कांग्रेस और उसके अन्य सहयोगी दलों से कई सवाल पूछे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष से पूछा कि क्या जेपी का आंदोलन अराजक था। क्या मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 13 Jul 2024 10:00 PM (IST)
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भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव। (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा आपाताकाल की बरसी 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाए जाने के निर्णय को लेकर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया का भाजपा ने भी जवाब दिया है। नेहरू शासनकाल से लेकर अब तक की कई घटनाओं को गिनाते हुए परिभाषित किया कि कांग्रेस जब-जब सत्ता में आई तो उसने संविधान की हत्या कैसे की।

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अखिलेश और कांग्रेस से पूछे सवाल

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने न सिर्फ इस संबंध में कांग्रेस से सवाल पूछे, बल्कि शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राऊत की टिप्पणी को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी पूछा कि क्या उनके पिता मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे?

बहुरूपियों के हृदय में वेदना शुरू

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हमारी सरकार ने जब से संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय लिया है तो संविधान की रक्षा का स्वांग रचने वाले बहुरूपियों के हृदय में बड़ी वेदना शुरू हो गई है। वह कह रहे हैं कि 50 साल पुरानी बात की आवश्यकता क्यों है? जब यह लोग खुद सीधे 80-85 साल पीछे जाकर यह बात करने लगते हैं कि आजादी की लड़ाई में उनका कॉपीराइट था।

सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कैसे हुई संविधान की हत्या?

त्रिवेदी ने शब्दों में परिभाषित किया कि संविधान की हत्या क्या होती है। कहा कि आपातकाल में देश के सभी नागरिकों के मूल अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था। पुलिस के पकड़ने पर कोई भी व्यक्ति अदालत नहीं जा सकता था। अगर कोई व्यक्ति यह कह दे कि 'इंदिरा गांधी की सरकार हटानी है' तो इस बात पर उसे जेल में डाला जा सकता था। आपातकाल में पूरा विपक्ष जेल में था। करीब डेढ़ लाख आम जनता 18 महीने जेल में रही।

38वां और 39वां संविधान संशोधन करके सरकार के किसी भी निर्णय पर न्यायिक समीक्षा का अधिकार समाप्त कर दिया गया था। संविधान की प्रस्तावना को बदल दिया गया था और सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को जोड़ दिया गया। एक नेता को देश के ऊपर कर दिया गया था। 'इंदिरा इज इंडिया' का नारा दिया गया।

कांग्रेस ने क्यों प्रस्ताव नहीं किया पारित?

सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सात तरीके से संविधान की हत्या की। कांग्रेस से जवाब चाहिए कि इजराइल-हमास युद्ध पर प्रस्ताव पारित करने वाली कांग्रेस वार्किंग कमेटी ने आज तक इस कृत्य पर कोई प्रस्ताव क्यों पारित नहीं किया?

विपक्ष की सरकारों को कर दिया गया था बर्खास्त

सुधांशु ने याद दिलाया कि कैसे इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली का आरोपित पाया गया। फिर उन्होंने आपातकाल लगाया। इसे कांग्रेस की पारंपरिक मानसिकता बताते हुए आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू सरकार में पहला संविधान संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए किया गया था। 1980 में सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गांधी ने राज्यों में विपक्ष की सभी सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया था।

मुलायम सिंह क्या अराजकता का हिस्सा थे?

वहीं, अराजकता के कारण आपातकाल लगाए जाने के संजय राऊत के बयान पर भाजपा सांसद ने कहा कि आईएनडीआईए गठबंधन वाले बताएं कि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हो रहा वह पवित्र जेपी आंदोलन अराजकता था? लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव बताएं कि क्या मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे। कटाक्ष किया कि कांग्रेस के यह सहयोगी सत्तालोलुपता में आज अपने ऊपर अराजकता का स्टांप लगवाने को भी तैयार हैं।

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